अमरनाथ मंदिर या अमरनाथ गुफा भगवान शिव के भक्तों के लिए सबसे प्रमुख तीर्थ स्थान है जो भगवान शिव की प्राकृतिक रूप से बर्फ से निर्मित शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। इस धार्मिक स्थल की यात्रा करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक जाते हैं जिसे अमरनाथ यात्रा के नाम से जाना जाता है। यहां पर स्थित अमरनाथ गुफा को तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है जिसकें बारे पौराणिक कथा है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने पार्वती को अमर कथा सुनाई थी और अपने अमर रहने का राज बताया था, इसलिए इस स्थान को अमरनाथ कहा जाता है।
इस गुफा में देवी पार्वती शक्ति पीठ भी स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है और यहां पर माता सती का कंठ गिरा था।
इस कथा को सुनाते हुए भगवान शिव ने एक रूद्र भी बनाया जिसने इस गुफा को आग लगा दी थी कि कोई भी जीवित व्यक्ति इस कथा को नहीं उन पाए लेकिन एक कबूतर ने वहां अपने अंडे छिपा दिए थे और बाद में यह कबूतरों की जोड़ी में बदल गए। ऐसा बताया जाता है कि “अमर कथा” को सुनने के बाद वे कबूतर अमर हो गए थे।
अमरनाथ गुफा का धार्मिक महत्व
अमरनाथ गुफा जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के पास 135 किलोमीटर की दूरी पर 13000 फीट की उंचाई पर स्थित है। अमरनाथ गुफा भारत में सबसे ज्यादा धार्मिक महत्व रखने वाला तीर्थ स्थल है। इस पवित्र गुफा की उंचाई 19 मीटर, गहराई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। इस गुफा की सबसे खास बात यह है कि यहां बर्फ से नैसर्गिक शिवलिंग बनती है। यहां प्राकृतिक और चमत्कारिक रूप से शिव लिंग बनने की वजह से इसे बर्फानी बाबा या हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है।
अमरनाथ गुफा का आकार लगभग डेढ़ सौ फुट है। इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। इन्हीं बूंदों से एक स्थान से टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इसका आकार भी घटता-बढ़ता रहता है।
आश्चर्य की बात तो ये है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, अमरनाथ के प्रमुख शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड भी र्निमित होते हैं।
लोक प्रचलित कथा
अमरनाथ गुफा के बारे में सबसे पहले पता सोलहवीं शताब्दी में एक मुसलमान गडरिए बूटा मलिक को चला था। आज भी मंदिर का चौथाई चढ़ावा उस मुसलमान गडरिए के वंशजों को मिलता है। साथ ही यहां पर सभी फूल बेचने वाले भी मुस्लिम ही हैं ।
कहते हैं कि पशुओं को चराते हुए जंगल में इस गडरिए की मुलाकात एक साधू से हो गई थी साधू ने बूटा को कोयले से भरी एक कांगड़ी दी।जब घर पहुंचकर उसने कांगड़ी में कोयले की जगह सोना पाया तो वह बहुत हैरान हुआ और उसी समय साधू का धन्यवाद करने के लिए गया परन्तु वहां साधू की जगह एक विशाल गुफा मिली और उसी दिन से यह स्थान एक तीर्थ बन गया।
ऐसी कथायें भी प्रचलित हैं कि जिन भक्तों पर शिव पार्वती प्रसन्न होते हैं उन्हें कबूतरों के जोड़े के रूप में प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होते हैं।
अमरनाथ यात्रा छड़ी मुबारक भी कहते हैं जो तमाम भक्तों और साधु संतों के साथ एक जुलूस के रूप में शुरू होती है। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। इस दौरान आने वाले सभी श्रद्धालुओं की देखभाल की तमाम जिम्मेदारी अमरनाथ श्राइन बोर्ड लेता है।
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय:
अमरनाथ गुफा की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय मई से सितंबर के बीच है। अमरनाथ गुफा की यात्रा हर साल जुलाई और अगस्त के समय शुरू होती है जो कि पर्यटकों के लिए एक आदर्श समय है। सर्दियों के दौरान यहां का तापमान -8 डिग्री तक गिर जाता है और ठंड को सहन करना मुश्किल हो जाता है।
तीर्थयात्रियों को संभावित आतंकी खतरों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए हर साल हजारों केंद्रीय सशस्त्र बल और राज्य पुलिस के जवान तैनात किए जाते हैं।
अमरनाथ यात्रा के रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी बातें:
◉ अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन और यात्रा परमिट मिलता है। एक यात्रा परमिट से केवल एक यात्री ही यात्रा कर सकता है।
◉ हर रजिस्ट्रेशन शाखा को यात्रियों को रजिस्टर करने के लिए निश्चित दिन और मार्ग आवंटित किया जाता है। पंजीकरण शाखा ये तय करती है कि यात्रियों की संख्या प्रति मार्ग कोटा सो ज्यादा ना हो।
◉ हर यात्री को यात्रा के लिए यात्रा परमिट प्राप्त करने के साथ हेल्थ सर्टिफिकेट भी जमा करना जरूरी होता है।
◉ रजिस्ट्रेशन और स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के लिए फॉर्म एसएएसबी द्वारा ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाते हैं।
◉ यात्रा परमिट के लिए अप्लाई करने के दौरान यात्रियों को हेल्थ सर्टिफिकेट, चार पासपोर्ट साइज के फोटो अपने पास रखना जरूरी है।
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