Download Bhakti Bharat APP
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowAditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya StotraFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

भगवान दत्तात्रेय जन्म | पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा (Pativrata Sati Mata Ansuiya Ki Katha)


भगवान दत्तात्रेय जन्म | पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा
Add To Favorites Change Font Size
भगवान को अपने भक्तों का यश बढ़ाना होता है तो वे नाना प्रकार की लीलाएँ करते हैं। श्री लक्ष्मी जी, माता सती और देवी सरस्वती जी को अपने पतिव्रत का बड़ा अभिमान था।
तीनों देवियों के अभिमान को नष्ट करने तथा अपनी परम भक्तिनी पतिव्रता धर्मचारिणी अनसूया के मान बढ़ाने के लिये भगवान ने नारद जी के मन में प्रेरणा की। फलत: वे श्री लक्ष्मी जी के पास पहुँचे, नारद जी को देखकर लक्ष्मी जी का मुख-कमल के समान खिल उठा।
लक्ष्मी जी ने कहा: आइये, नारद जी! आप तो बहुत दिनों बाद आये। कहिये, क्या हाल है?
नारद जी बोले: माता! क्या बताऊँ, कुछ बताते नहीं बनता। अब की बार मैं घूमता हुआ चित्रकूट की ओर चला गया। वहाँ मैं महर्षि अत्रि के आश्रम पर पहुँचा। माता! मैं तो महर्षि की पत्नी अनुसूया जी के दर्शन करके कृतार्थ हो गया। तीनों लोकों में उनके समान कोई भी पतिव्रता स्त्री नहीं है।

लक्ष्मी जी को नारद जी की बात पर आश्चर्य हुआ।
उन्होंने पूछा: नारद! क्या वह मुझसे भी बढ़कर पतिव्रता है?
नारद जी ने कहा: माता! आप ही नहीं, तीनों लोकों में कोई भी स्त्री सती अनुसूया की तुलना में किसी भी गिनती में नहीं है।

इसी प्रकार देवर्षि नारद ने माता पार्वती एवं माता सरस्वती के पास जाकर उनके मन में भी सती अनुसूया के प्रति यही भाव जगा दिया। अन्त में तीनों देवियों ने त्रिदेवों से हठ करके उन्हें सती अनुसूया के सतीत्व की परीक्षा लेने के लिये आग्रह किया। ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश महर्षि अत्रि के आश्रम पर पहुँचे। तीनों देव मुनि वेष में थे। उस समय महर्षि अत्रि अपने आश्रम मे नहीं थे। अतिथि के रूप में आये हुए त्रिदेवों का सती अनुसूया ने स्वागत-सत्कार करना चाहा, किन्तु त्रिदेवों ने उसे अस्वीकार कर दिया।

त्रिदेव बन गए शिशु
सती अनुसूया ने उनसे पूछा: मुनियो! मुझसे कौन-सा ऐसा अपराध हो गया, जो आप लोग मेरे द्वारा की हुई पूजा को ग्रहण नहीं कर रहे हैं?
मुनियों ने कहा: देवि! यदि आप बिना वस्त्र के हमारा आतिथ्य करें तो हम आपके यहाँ भिक्षा ग्रहण करेंगे।
यह सुनकर सती अनुसूया सोच में पड़ गयीं। उन्होंने ध्यान लगाकर देखा तो सारा रहस्य उनकी समझ में आ गया।
वे बोलीं: मैं आप लोगों का विवस्त्र होकर आतिथ्य करूँगी। यदि मैं सच्ची पतिव्रता हूँ और मैंने कभी भी काम-भाव से किसी पर-पुरुष का चिन्तन नहीं किया हो तो आप तीनों छ:-छ: माह के बच्चे बन जाएँ।

पतिव्रता माता अनसूइया का इतना कहना था कि त्रिदेव छ:-छ: माह के बच्चे बन गये। माता अनुसूया ने विवस्त्र होकर उन्हें अपना स्तनपान कराया और उन्हें पालने में खेलने के लिये डाल दिया। इस प्रकार त्रिदेव माता अनुसूया के वात्सल्य प्रेम के बन्दी बन गये।

उधर जब तीनों देवियों ने देखा कि हमारे पति तो आये ही नहीं तो वे चिन्तित हो गयीं। अंततः तीनों देवियाँ अपने पतियों का पता लगाने के लिये चित्रकूट गयीं। संयोग से वहीं नारद जी से उनकी भेंट हो गयी। त्रिदेवियों ने उनसे अपने पतियों के बारे मे पूछा। नारद जी ने कहा कि वे लोग तो आश्रम में बालक बनकर खेल रहे हैं।

दत्तात्रेय जन्म कथा
त्रिदेवियों ने अनुसूया जी से आश्रम में प्रवेश करने की आज्ञा माँगी। अनुसूया जी ने उनसे उनका परिचय पूछा?
त्रिदेवियों ने कहा: माता जी! हम तो आपकी बहुएँ हैं। आप हमें क्षमा करदें और हमारे पतियों को लौटा दें।
अनुसूया जी का हृदय द्रवित हो गया। उन्होंने बच्चों पर जल छिड़ककर उन्हें उनका पूर्व रूप प्रदान किया और अन्तत: उन त्रिदेवों की पूजा-स्तुति की।

त्रिदेवों ने प्रसन्न होकर अपने-अपने अंशों से अनुसूया के यहाँ पुत्र रूप में प्रकट होने का वरदान दिया। इस प्रकार त्रिदेवों के अंश के रूप मे दत्तात्रेय का जन्म हुआ।
यह भी जानें

Katha Datta Jayanti KathaDattatreya Jayanti KathaMata Ansuiya KathaPativrata Ansuiya KathaRamayan Prasang Katha

अगर आपको यह कथाएँ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस कथाएँ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा

भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्‌मणों...

सफला एकादशी व्रत कथा

भगवान श्रीकृष्ण बोले: पौष माह के कृष्ण पक्ष मे आने वाली इस एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के देवता श्रीनारायण हैं..

मंगलवार व्रत कथा

सर्वसुख, राजसम्मान तथा पुत्र-प्राप्ति के लिए मंगलवार व्रत रखना शुभ माना जाता है। पढ़े हनुमान जी से जुड़ी मंगलवार व्रत कथा...

सोमवार व्रत कथा

किसी नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। दूर-दूर तक उसका व्यापार फैला हुआ था। नगर के सभी लोग उस व्यापारी का सम्मान करते थे..

कालयवन वध कथा

यह जन्म से ब्राह्मण लेकिन कर्म से असुर था और अरब के पास यवन देश में रहता था। पुराणों में इसे म्लेच्छों का प्रमुख कहा गया है।

रोहिणी शकट भेदन, दशरथ रचित शनि स्तोत्र कथा

प्राचीन काल में दशरथ नामक प्रसिद्ध चक्रवती राजा हुए थे। राजा के कार्य से राज्य की प्रजा सुखी जीवन यापन कर रही थी...

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा

संतोषी माता व्रत कथा | सातवें बेटे का परदेश जाना | परदेश मे नौकरी | पति की अनुपस्थिति में अत्याचार | संतोषी माता का व्रत | संतोषी माता व्रत विधि | माँ संतोषी का दर्शन | शुक्रवार व्रत में भूल | माँ संतोषी से माँगी माफी | शुक्रवार व्रत का उद्यापन

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Om Jai Jagdish Hare Aarti - Om Jai Jagdish Hare Aarti
×
Bhakti Bharat APP