शरद पूर्णिमा के ही दिन, ब्रज क्षेत्र में टेसू और झेंजी का विवाह संपन्न होता है। इस विवाह के बाद हिंदुओं में विवाह उत्सव प्रारम्भिक कार्य सुरू हो जाते हैं। एक वरदान के अनुसार, सबसे पहिले टेसू का विवाह होगा, फिर उसके बाद ही कोई विवाह उत्सव की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकेगा।
टेसू झेंजी की यह परम्परा ब्रज, बुंदेलखण्ड और ग्वालियर मे विशेष रुप से प्रसिद्ध है। शहरी क्षेत्र मे यह प्रायः लुप्त ही होती जा रही है। टेसू झेंजी को सभी घरों मे घूमने की परम्परा को टेसू को खिला कर लाना कहा जाता है। यह रावण दहन के साथ दशहरे के दिन से ही आरंभ हो जाता है।
टेसू और झेंजी के गीतों का अध्ययन करने पर प्रतीत होता है कि झेंजी गीत व्यवस्थित और निश्चित विषय वस्तु को लेकर चलते है, जबकि टेसू गीत मात्र तुकबन्दियां प्रतीत होती हैं। कहीं कहीं झेंजी को सांझी भी कहा जाता है।
टेसू झेंजी स्वरूप:
आमतौर पर टेसू तीन सीधी लकड़ियों से बनाया जाते है। बीच मे दीपक रखने का स्थान बनाया जाता है तथा वहीं से टेसू को पकड़ा जाता है।
झेंजी, कच्ची मिट्टी से बनी गोलाकार घड़े के समान होतीं हैं, जिसमें दीपक अंदर की ओर रखा जाता है। दीपक को लगातार जलने के लिए प्रचुर मात्रा मे हवा के लिए झेंजी में रंग-बिरंगे झरोखे बनाए जाते हैं।
टेसू झेंजी विवाह समारोह:
ब्रज के प्रत्येक घर में टेसू-झेंजी के विवाह की सारी रस्में हर्ष एवं उल्लास के साथ सामान्य विवाह की तरह ही निभाई जाती हैं। कुछ लोग इतने उल्लास के साथ मानते हैं कि कार्ड छपवाना, बैंड-बाजा के साथ बाराती नाचते हुए झेंजी के घर पहुंचते हैं। टेसू एवं बारातियों के स्वागत के साथ विवाह की सारी रस्मे निभाई जाती है। जिसके अंतर्गत झेंजी की पैर पुजाई, कन्यादान तथा बारातियों को प्रीतिभोज भी दिया जाता है।
बच्चों के इस आयोजन में समाज और घर के बड़े-बुजुर्ग भी खुलकर दिल से अपना-अपना पूर्ण सहयोग करते हैं। सामाजिक सद्भाव के साथ हर घर का अनाज और पैसा एक साथ मिलकर एक हो जाता है। लड़कियों में अजब उल्लास रहता था तो लड़कों में भी। गांव के कुछ लोग बराती बनते हैं, और कुछ लोग घराती। रात में स्त्रियां और बच्चे एकत्र होकर गीत भजन का गान करते हैं। खील, बताशे, रेवड़ी बांटी जाती हैं तथा टेसू-झेंजी के विसर्जन के साथ ही अगले वर्ष के लिए समारोह की प्रतीक्षा प्रारंभ हो जाती है।
टेसू झेंजी विवाह की पौराणिक
संबंधित अन्य नाम | टेसू झेंजी पूनै, टेसू झेंजी विवाह, टेसू पूर्णिमा, टेसू-झेंझी |
शुरुआत तिथि | आश्विन शुक्ला पूर्णिमा |
कारण | टेसू झेंजी विवाह |
उत्सव विधि | मंगल गीत, पूजा, भजन-कीर्तन |
टेसू पूनै शुभकामना मेसेज
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