चैत्र के पाँचवे दिन मनाये जाने वाली होली के त्यौहार को रंग पंचमी कहा जाता है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों मे यह उत्सव अलग-अलग विधि तथा कारणों से मनाया जाता है। ब्रज क्षेत्र में रंगपंचमी को पाँच दिवसीय होली पर्व के समापन का दिन माना जाता है। माना जाता है कि रंग पंचमी के दिन देवी-देवता अपने भक्तों साथ होली खेलने हेतु पृथ्वी पर आते हैं। अतः रंग पंचमी पर्व को देव पंचमी भी कहा जाता है।
मध्य प्रदेश - रंग पंचमी के शुभ अवसर पर इंदौर के लोग विश्वप्रसिद्ध गेर के रंग में रंग कर अपार आनंद उठाते हैं। इसके अंतर्गत 300 साल से चली आ रही यह परंपरा, 3000 से अधिक पांडाल, देश के कोने-कोने से सभी जाति-धर्म के 1.5 करोड़ का लगभग जन समुदाय एकत्रित होता है।
महाराष्ट्र - में होली के बाद पंचमी के दिन मछुआरों की बस्ती मे यह उत्सव नाच, गाना और मस्ती के साथ मनाने की परंपरा है। तथा विशेष भोजन पूरनपोली अवश्य बनाया जाता है।
राजस्थान - जैसलमेर के मंदिर महल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ रंगों के खेलों की विशेष व्यवस्था भी की जाती है। इस विशेष अवसर पर यहाँ लाल, नारंगी एवं फिरोजी रंगों को हवा में उड़ाने की अनोखी परंपरा है।
संबंधित अन्य नाम | देव पंचमी |
शुरुआत तिथि | चैत्र कृष्ण पंचमी |
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