पांच दिवसीय दीपावली पर्व की पूजा भाई दूज के साथ समाप्त होती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त की पूजा करने का भी विधान है। कहा जाता है कि चित्रगुप्त की पूजा करने से व्यापार में उन्नति का वरदान मिलता है। कायस्थ समाज में चित्रगुप्त को एक आराध्य देवता के रूप में पूजा जाता है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
चित्रगुप्त पूजा का महत्व
भगवान चित्रगुप्त हिसाब रखने का काम करते हैं। इसलिए इनका मुख्य कार्य कलम से जोड़कर देखा जाता है, इसीलिए भाई दूज के दिन कलम को चित्रगुप्त की प्रतिमा के रूप में भी पूजा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार चित्रगुप्त जी की पूजा करने से बुद्धि, वाणी और लेखन का आशीर्वाद मिलता है।
कारोबारियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है, इस दिन नई किताबों पर 'श्री' लिखकर काम की शुरुआत की जाती है। इसके अलावा सभी आय-व्यय का विवरण चित्रगुप्त जी के सामने रखा जाता है। इस दिन लोग चित्रगुप्त जयंती के रूप में मनाते हैं और लेखी-दावत (लेखन-स्याही) की पूजा करते हैं। इसके साथ ही लोग इस दिन लेखन से जुड़े कार्यों को भी बंद रखते हैं। चित्रगुप्त पूजा को दावत पूजन के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान चित्रगुप्त पूजन विधि
❀ एक पोस्ट पर चित्रगुप्त महाराज का चित्र लगाएं।
❀ उन्हें रोली, अक्षत, फूल, मिठाई, फल आदि अर्पित करें।
❀ अपने पिछले सभी कार्यों का विवरण चित्रगुप्त जी के सामने रखें।
❀ श्वेत पत्र पर श्री गणेशाय नमः और ॐ चित्रगुप्ताय नमः 11 बार लिखें।
❀ अब भगवान चित्रगुप्त से शिक्षा, बुद्धि और जीवन में उन्नति के लिए प्रार्थना करें।
❀ चित्रगुप्त पूजा में शुभ मुहूर्त में नई पुस्तकों की पूजा करें।
संबंधित अन्य नाम | chitragupta puja, yama dwitiya, dawat pujan |
शुरुआत तिथि | कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि |
कारण | Bhagwan Chitragupta |
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