त्योहार का अंतिम दिन भाई दूज, भैया दूजी या भाई टीका के रूप मे मनाया जाता है। यह बहन-भाई के प्यारे रिश्ते से जुड़े रक्षाबंधन की तरह, लेकिन कुछ विभिन्न अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है। यह धार्मिक दिन भाई - बहन के प्रेम की घनिष्ठता को जीवंत करता है।
इस दिन को यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज के दिन से ही पांच दिवसीय दीवाली उत्सव का समापन हो जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। साथ ही भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भैया दूज पर्व को मनाने की विधि हर जगह एक जैसी नहीं है। उत्तर भारत में, इस दिन बहनें भाई को अक्षत व तिलक लगाकर नारियल देती हैं वहीं पूर्वी भारत में बहनें शंखनाद के बाद भाई को तिलक लगाती हैं और भेंट स्वरूप कुछ उपहार देती हैं।
मान्यता है कि, इस दिन शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने स्वीकार कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा।
भाई दूज के दिन भाई को तिलक लगाने का सही बिधि
❀ प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान की आराधना करें।
❀ मुहूर्त से पहले भाई के तिलक के लिए थाली सजाएं जैसे थाली में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई, अक्षत और सुपारी रखें।
❀ पिसे हुए चावल के आटे या बैटर से चौकोर बना लें और शुभ मुहूर्त में भाई को इस चौक पर बिठा दें।
❀ यह सब बिधि के बाद भाई को तिलक करें और उसके बाद भाई को फूल, सुपारी, बताशे और काले चने दें और उनकी आरती करें।
❀ तिलक और आरती के बाद भाई को मिठाई खिलाएं और अपने हाथों से बना हुआ खाना खिलाएं।
❀ भाई दूज पर टीका करते समय, बहन को भाई के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए: गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।
संबंधित अन्य नाम | भैया दूज, भैया दूजी, भाई टीका, यम द्वितीया |
शुरुआत तिथि | कार्तिक शुक्ला द्वितीया |
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