अधर पणा, पुरी जगन्नाथ का एक अनुष्ठान है जो रथ यात्रा उत्सव के दौरान पुरी जगन्नाथ मंदिर में मनाया जाता है।
अधर पणा अनुष्ठान आषाढ़ महीने त्रयोदशी तिथि पर आयोजित किया जाता है, जिसमें विशेष रूप से निर्मित मिटटी के बर्तनों में देवताओं को 100 लीटर पणा (मीठा पेय) परोसा जाता है।
अधर पणा अनुष्ठान कैसे आयोजित किया जाता है?
❀ आमतौर पर, अधर पणा
आषाढ़ महीने त्रयोदशी तिथि पर मध्याह्न धूप (दोपहर-भोजन) के बाद दिया जाता है, जिसके बाद सोडाशा उपचार पूजा (16 प्रकार की पूजा) होती है। अधर पणा अनुष्ठान के दौरान, 12वीं शताब्दी के मंदिर के सिंह द्वार के पास खड़े प्रत्येक रथ पर मिटटी के बर्तन रखे जाते हैं। ये प्रभु के होठों तक पहुँचते हैं।
❀ बर्तन में दूध की मलाई, पनीर, चीनी, केला, कपूर, जायफल, काली मिर्च और ऐसे अन्य मसालों का 100 लीटर मिश्रण किया जाता है। फिर रथों में रहने वाली आत्माओं भूत, पिशाच, मानव, दानब को मुक्त करने के लिए इन्हें तोड़ दिया जाता है।
❀ जलपान केवल उन देवी-देवताओं के लिए है, जो रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की रक्षा के लिए रथों पर रहते हैं, यही कारण है कि उन्हें 'रथ रक्षक' के नाम से जाना जाता है। भक्तों को यह पणा ग्रहण करना मना है।
❀ विशाल मिटटी के बर्तन कुंभारपाड़ा के कुम्हारों द्वारा तैयार किये जाते हैं। पहले, इस उद्देश्य के लिए 12 मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जाता था। हालाँकि, सेवक अब केवल नौ बर्तनों में पणा परोसते हैं।
अधर पणा अनुष्ठान कौन तैयार करता है?
परंपरा के अनुसार, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन और राघब दास मठ और बदौदिया मठ के अधिकारी स्थानीय कुम्हारों से मिट्टी के बर्तनों की व्यवस्था करते हैं, जो इन्हें बनाने के लिए तीन बोरी मिट्टी और एक बोरी रेत का उपयोग करते हैं। अनुष्ठान के लिए तीन विशेष मिट्टी के बर्तनों को आकार देने में उन्हें कम से कम एक महीने का समय लगता है।
अधर पणा के बाद अगले दिन
नीलाद्रि बिजे का अनुष्ठान आयोजित किया जाता है।