एक आदमी तालाब के किनारे बैठ कर कुछ सोच रहा था। तभी उसने एक पानी में किसी के डूबने की आवाज सुनी और उसने तालाब की तरफ देखा तो उसे एक
बिच्छू तालाब में डूबता दिखाई दिया। अचानक ही वह आदमी उठा और तालाब में कूद गया। उस बिच्छु को बचाने के लिए उसने उसे पकड़ लिया और तालाब के बाहर लाने लगा।
इससे घबराकर बिच्छू ने उस
आदमी को डंक मारा। आदमी का हाथ खून से भर गया वो जोर-जोर से चिल्लाने लगा, उसका हाथ खुल गया और बिच्छू फिर पानी में गिर गया।
आदमी फिर उसके पीछे गया। उसने बिच्छु को पकड़ा। लेकिन बिच्छू ने फिर से उसे काट लिया। यह बार-बार होता रहा।
यह पूरी घटना दूर बैठा एक आदमी देख रहा था। वो उस आदमी के पास आया और बोला - अरे भाई ! वह बिच्छू तुम्हे बार-बार काट रहा है। तुम उसे बचाना चाहते हो, वो तुम्हे ही डंक मार रहा है। तुम उसे जाने क्यूँ नहीं देते ?मर रहा हैं अपनी मौत, तुम क्यूँ अपना खून बहा रहे हो?
तब उस आदमी ने उत्तर दिया - भाई !
डंक मरना तो बिच्छू की प्रकृति है। वह वही कर रहा है लेकिन मैं एक मनुष्य हूँ, और मेरा धर्म है दूसरों की सेवा करना और मुसीबत में उनका साथ देना। अतः बिच्छू अपना धर्म निभा रहा हैं और मैं मेरा ।
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