Download Bhakti Bharat APP
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र - Gajendra Moksham StotramDownload APP Now - Download APP NowHanuman Chalisa - Hanuman ChalisaFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

राजा का मूर्ति प्रेम - प्रेरक कहानी (Raja Ka Murti Prem)


Add To Favorites Change Font Size
एक राजा था जिसे शिल्प कला अत्यंत प्रिय थी। वह मूर्तियों की खोज में देस-परदेस जाया करता थे। इस प्रकार राजा ने कई मूर्तियाँ अपने राज महल में लाकर रखी हुई थी और स्वयं उनकी देख रेख करवाते।
सभी मूर्तियों में उन्हें तीन मूर्तियाँ जान से भी ज्यादा प्यारी थी। सभी को पता था कि राजा को उनसे अत्यंत लगाव हैं।

एक दिन जब एक सेवक इन मूर्तियों की सफाई कर रहा था तब गलती से उसके हाथों से उनमें से एक मूर्ति टूट गई। जब राजा को यह बात पता चली तो उन्हें बहुत क्रोध आया और उन्होंने उस सेवक को तुरन्त मृत्युदण्ड दे दिया।

सजा सुनने के बाद सेवक ने तुरन्त अन्य दो मूर्तियों को भी तोड़ दिया। यह देख कर सभी को आश्चर्य हुआ।

परहित का चिंतन - Caring for Others
राजा ने उस सेवक से इसका कारण पूछा, तब उस सेवक ने कहा - महाराज !! क्षमा कीजियेगा, यह मूर्तियाँ मिट्टी की बनी हैं, अत्यंत नाजुक हैं। अमरता का वरदान लेकर तो आई नहीं हैं। आज नहीं तो कल टूट ही जाती अगर मेरे जैसे किसी प्राणी से टूट जाती तो उसे अकारण ही मृत्युदंड का भागी बनना पड़ता। मुझे तो मृत्यु दंड मिल ही चुका हैं इसलिए मैंने ही अन्य दो मूर्तियों को तोड़कर उन दो व्यक्तियों की जान बचा ली

यह सुनकर राजा की आँखे खुली की खुली रह गई उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सेवक को सजा से मुक्त कर दिया।

सेवक ने उन्हें साँसों का मूल्य सिखाया, साथ ही सिखाया की न्यायाधीश के आसन पर बैठकर अपने निजी प्रेम के चलते छोटे से अपराध के लिए मृत्युदंड देना उस आसन का अपमान हैं। एक उच्च आसन पर बैठकर हमेशा उसका आदर करना चाहिये। राजा हो या कोई भी अगर उसे न्याय करने के लिए चुना गया हैं तो उसे न्याय के महत्व को समझना चाहिये।

मूर्ति से राजा को प्रेम था लेकिन उसके लिए सेवक को मृत्युदंड देना न्याय के विरुद्ध था। न्याय की कुर्सी पर बैठकर किसी को भी अपनी भावनाओं से दूर हट कर फैसला देना चाहिये।

राजा को समझ आ गया कि मुझसे कई गुना अच्छा तो वो यह सेवक था जिसने मृत्यु के इतना समीप होते हुए भी परहित का सोचा।

राजा ने सेवक से पूछा कि अकारण मृत्यु को सामने पाकर भी तुमने ईश्वर को नही कोसा, तुम निडर रहे, इस संयम, समस्वस्भाव तथा दूरदृष्टि के गुणों के वहन की युक्ति क्या है।

भगवान को कोसने वाला सेठ - Seth Cursing God
सेवक ने बताया कि आपके यहाँ काम करने से पहले मैं एक अमीर सेठ के यहां नौकर था। मेरा सेठ मुझसे तो बहुत खुश था लेकिन जब भी कोई कटु अनुभव होता तो वह ईश्वर को बहुत गालियाँ देता था।

एक दिन सेठ ककड़ी खा रहा था। संयोग से वह ककड़ी कड़वी थी। सेठ ने वह ककड़ी मुझे दे दी। मैंने उसे बड़े चाव से खाया जैसे वह बहुत स्वादिष्ट हो।

सेठ ने पूछा- ककड़ी तो बहुत कड़वी थी। भला तुम ऐसे कैसे खा गये?

तो मैने कहा- सेठ जी आप मेरे मालिक है। रोज ही स्वादिष्ट भोजन देते है। अगर एक दिन कुछ कड़वा भी दे दिए तो उसे स्वीकार करने में क्या हर्ज है।

राजा जी इसी प्रकार अगर ईश्वर ने इतनी सुख-सम्पदाएँ दी है, और कभी कोई कटु अनुदान दे भी दे तो उसकी सद्भावना पर संदेह करना ठीक नहीं।जन्म,जीवनयापन तथा मृत्यु सब उसी की देन है।

असल में यदि हम समझ सके तो जीवन में जो कुछ भी होता है, सब ईश्वर की दया ही है। ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए ही करता है। यदि सुख दुख को ईश्वर का प्रसाद समझकर संयम से ग्रहण करें तथा हर समय परिहित का चिंतन करे।
यह भी जानें

Prerak-kahani RajaTeacher Prerak-kahaniMurti Prerak-kahaniServent Prerak-kahaniNaukar Prerak-kahaniSewak Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि - प्रेरक कहानी

एक बार एक राजा की सभा में एक चंदन के बहुत बड़े व्यापारी ने प्रवेश किया. राजा की दृष्टि उस पर पड़ी तो उसे देखते ही अचानक उनके मन में विचार आया कि कुछ ऐसा किया जाए ताकि इस व्यापारी की सारी संपत्ति राजकोष में जमा कर दी जाए...

प्रार्थना के बाद भी भगवान नहीं सुन रहे? - प्रेरक कहानी

प्रार्थना छोड़ दोगे तो कहीं के नहीं रहोगे? प्रार्थना के बाद भी भगवान आपकी नहीं सुन रहे हैं? एक सेठ के घर के बाहर एक साधू महाराज खड़े होकर प्रार्थना कर रहे थे और बदले में खाने को रोटी मांग रहे थे।

भक्तमाल सुमेरु तुलसीदास जी - सत्य कथा

भक्तमाल सुमेरु श्री गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज| वृंदावन में भंडारा | संत चरण रज ही नहीं अपितु पवित्र व्रजरज इस जूती पर लगी है | हां ! संत समाज में दास को इसी नाम से जाना जाता है..

तुलसीदास जी कुटिया पर श्री राम लक्षमण का पहरा - सत्य कथा

उन वीर पाहरेदारों की सावधानी देखकर चोर बडे प्रभावित हुए और उनके दर्शन से उनकी बुद्धि शुद्ध हो गयी।

दो अनमोल हीरे - प्रेरक कहानी

एक व्यापारी को बाज़ार में घूमते हुए एक बहुत अच्छी नस्ल का ऊँट दिखाई पड़ा। व्यापारी और ऊँट बेचने वाले के बीच काफी लंबी सौदेबाजी हुई और आखिर में व्यापारी ऊँट खरीद कर घर ले आया... | दुनियाँ के सबसे अमीर व्यक्ति के पास, दो अनमोल हीरे..

धैर्य से काम लेने मे ही समझदारी है - प्रेरक कहानी

बात उस समय की है जब महात्मा बुद्ध विश्व भर में भ्रमण करते हुए बौद्ध धर्म का प्रचार कर रहे थे और लोगों को ज्ञान दे रहे थे। समस्या और बुराई केवल कुछ समय के लिए..

कर्मो का उचित फल - प्रेरक कहानी

कुछ दिन पहले की बात है मैं अपने भाई के घर यानी अपने मायके गयी। वहां अपनी मम्मी और भाभी के साथ बैठ कर बातें कर रही थी।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Durga Chalisa - Durga Chalisa
×
Bhakti Bharat APP