भक्तमाल कथा: मीरा की भक्ति - जब श्री कृष्ण ने अपना श्रृंगार बदला
राणा सांगा के पुत्र और अपने पति राजा भोजराज की मृत्यु के बाद जब संबन्धीयो के मीरा बाई पर अत्याचार अपने चरम पे जा पहुँचे तो मीरा बाई मेवाड़ को छोड़कर तीर्थ को निकल गई। घूमते-घूमते वे वृन्दावन धाम जा पहुँची।
जीव गोसांई वृंदावन में वैष्णव-संप्रदाय के मुखिया थे। मीरा जीव गोसांई के दर्शन करना चाहती थीं, लेकिन उन्होंने मीरा बाई से मिलने से मना कर दिया। उन्होंने मीरा को संदेशा भिजवाया कि वह किसी औरत को अपने सामने आने की इजाजत नहीं देंगे।
मीराबाई ने इसके जवाब में अपना संदेश भिजवाया कि, वृंदावन में हर कोई औरत है। अगर यहाँ कोई पुरुष है तो केवल गिरिधर गोपाल। आज मुझे पता चला कि वृंदावन में कृष्ण के अलावा यहाँ कोई और भी पुरुष है।
जीव गुसाईं ने सुबह जब भगवान कृष्ण के मंदिर के पट खोले तो हैरत से उनकी
आँखें फटी रह गई, सामने विराजमान भगवान कृष्ण की मूर्ति घाघरा चोली पहने हुये थी, कानों में कुंडल, नाक में नथनी, पैरों में पाजेब, हाथों में चूड़ियाँ मतलब वे औरत के संपूर्ण स्वरूप को धारण किये हुये थे।
जीव गुसाईं ने मंदिर सेवक को आवाज लगाई, किसने किया ये सब ?
कृष्ण की सौगंध पुजारी जी मंदिर में आपके जाने के बाद किसी का प्रवेश नही हुआ ये पट आपने ही बंद किये और आपने ही खोले।
जीव गुसाईं अचंभित थे, सेवक बोला कुछ कहूँ पुजारी जी
वे खोए-खोए से बोले, हाँ बोलो
पास ही धर्मशाला में एक महिला आई हुई हैं जिसने कल आपसे मिलने की इच्छा जताई थी, आप तो किसी महिला से मिलते नहीं इसलिये आपने उनसे मिलने से मना कर दिया, परन्तु लोग कहते हैं कि वो कोई साधारण महिला नहीं उनके एकतारे में बड़ा जादू है कहते हैं वो जब भजन गाती हैं तो हर कोई अपनी सुधबुध बिसरा जाता हैं। कृष्ण भक्ति में लीन जब वो नाचती हैं तो स्वयं कृष्ण का स्वरूप जान पड़ती हैं, आपने उनसे मिलने से इंकार किया कही ऐसा तो नही भगवान जी आपको कोई संदेश देना चाहते हो।
जीव गुसाईं तुरंत समझ गए कि उनसे बहुत बड़ी भूल हो गई है। मीराबाई कोई साधारण महिला नहीं अपितु कोई परम कृष्णभक्त हैं। वे सेवक से बोले भक्त मुझे तुरंत उनसे मिलना है चलो कहाँ ठहरी हैं वो मैं स्वयं उनके पास जाऊँगा।
जीव गुसाईं मीरा जी के सामने नतमस्तक हो गये और भरे कंठ से बोले मुझ अज्ञानी को आज आपने भक्ति का सही स्वरूप दिखाया है देवी इसके लिये मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा। आईए चलकर स्वयं अपनी भक्ति की शक्ति देखिये।
मीराबाई केवल मुस्कुराई वे कृष्ण कृष्ण करती उनके पीछे हो चली। मंदिर पहुँचकर जीव गुसाईं एक बार फिर अचंभित हुये कृष्ण भगवान वापस अपने स्वरूप में लौट आये थे, पर एक अचम्भा और भी था। उन्हें कभी कृष्ण की मूर्ति में मीराबाई दिखाई पड़ती तो कभी मीराबाई में कृष्ण।