Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowAditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya StotraFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

मैं सावंरे की कुदरत से हैरान हूँ - प्रेरक कहानी (Main Sanvare Ki Kudarat Se Hairan Hoon)


Add To Favorites Change Font Size
वृंदावन शहर में एक वैघ थे, जिनका मकान भी बहुत पुराना था। वैघ साहब अपनी पत्नी को कहते कि जो तुम्हें चाहिए एक चिठ्ठी में लिख दो दुकान पर आकर पहले वह चिठ्ठी खोलते। सामान के भाव देखते, फिर कान्हा से दुआ करते कि सांवरे
मैं केवल तेरी इजाजत से तुझे छोड़कर यहाँ दुनिया में आ बैठा हूँ। तूँ मेरी आज की व्यवस्था कर देगा। उसी समय यहां से उठ जाऊँगा और फिर कभी सुबह साढ़े नौ, कभी दस बजे वाघ जी रोगियों की दवा देकर कर वापस अपने गांव चले जाते।
एक दिन वैघ जी ने दुकान खोली।फिर चिठ्ठी खोली तो देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आंखों के सामने तारे चमकते हुए नजर आ गए लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने मन पर काबू पा लिया। आटे दाल चावल आदि के बाद पत्नि ने लिखा था, बेटी के दहेज का सामान लाना है जी कुछ देर सोचते रहे फिर बाकी चीजों की कीमत लिखने के बाद दहेज के सामने लिखा यह काम मेरे कान्हा का है, कान्हा ही जाने।

एक दो मरीज आए थे। उन्हें वैघ जी दवाई दे रहे थे। इसी दौरान एक बड़ी सी कार उनके दुकान के सामने आकर रुकी दोनों मरीज दवाई लेकर चले गए। वह साहब कार से बाहर निकले और राधे राधे करके बैंच पर बैठ गए।
वैध जी ने कहा कि अगर आप अपने लिए दवा लेनी है तो, आपकी नाड़ी देख लूँ उस आदमी ने कहा की वैघ जी मुझे लगता है आपने मुझे पहचाना नहीं ?
मैं 15-16 साल बाद आप की दुकान पे आया हूँ। आप को पिछली मुलाकात की बात सुनाता हूँ फिर शायद आपको सारी बात याद आ जाएगी।

वैघ जी मैं 5,6 साल से इंग्लैंड में रहता हूँ। इंग्लैंड जाने से पहले मेरी शादी हो गई थी लेकिन अब तक बच्चा नह़ीं हुआ। यहां भी इलाज किया और इंग्लैंड में भी करवाया लेकिन हमारी किस्मत में शायद बच्चा नहीं था आपने कहा, मेरे भाई! अपने भगवान से निराश ना हो
याद रखो ! उसके खज़ाने में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है। औलाद, माल, धन दौलत और खुशी ग़मी जीवन मृत्यु सब कुछ उसी के हाथ में है।

किसी वैघ के हाथ में कुछ भी नहीं है। अगर औलाद होनी है तो मेरे सांवरे के आर्शिवाद से ही होनी है। औलाद देनी है तो उसी ने देनी है। मुझे याद है तुम बातें करते जा रहे थे और साथ साथ, पुड़ियाँ भी बना रहे थे। फिर आपने मुझसे पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है? मैंने बताया कि मेरा नाम सतीश है। आपने एक लिफाफे पर कान्हा और दूसरे पर राधे लिखा। फिर दवा लेने का तरीका बताया।

लेकिन जब मैंने पूछा कितने पैसे? आपने कहा बस ठीक है। मैंने जोर डाला, तो आपने कहा कि आज का खाता बंद हो गया है। मैंने कहा मुझे आपकी बात समझ नहीं आई। भाई आज के घर खर्च के लिए जितनी रकम वैध ने कान्हा जी से मांगी थी वह सांवरे ने इनको दे दी है।
अधिक पैसे वे नहीं ले सकते। मैं बहुत हैरान हुआ और शर्मिंदा भी हुआ कि मेरे कितने घटिया विचार थे और यह वैघ कितना महान व्यक्ति है। मैंने जब घर जा कर बीवी को दवा दिखाई और सारी बात बताई तो उसके मुँह से निकला वो इंसान नहीं कोई फरिश्ता है और उसकी दी हुई दवा हमारे मनोकामना ज़रूर पूरी करेगी जी वैघ जी आज मेरे घर में तीन बच्चे हैं।

हम पति पत्नी हर समय आपके लिए दुआये़ करते हैं। जब भी वृदांवन में छुट्टी में आया। कार उधर रोकी लेकिन दुकान को बंद पाया। कल दोपहर भी आया था दुकान बंद थी। एक आदमी पास ही खड़ा हुआ था। उसने कहा कि अगर आपको वैघ जी से मिलना है तो सुबह 9 बजे अवश्य पहुंच जाएं वरना उनके मिलने की कोई गारंटी नहीं। इसलिए आज सवेरे सवेरे आपके पास आया हूँ।

वैघ जी हमारा सारा परिवार इंग्लैंड में बस चुका है। केवल एक विधवा बहन अपनी बेटी के साथ वृंदावन में रहती है। हमारी भांजी की शादी इस महीने की 21 तारीख को होनी थी। इस भांजी की शादी का सारा खर्च मैं अपने ज़िम्मा लिया था। 10 दिन पहले इसी कार में उसे मैं पानीपत अपने रिश्तेदारों के पास भेजा कि शादी के लिए जो चीज़ चाहे खरीद ले। उसे पानीपत जाते ही बुखार हो गया लेकिन उसने किसी को नहीं बताया। बुखार की दवा खाती रही और बाजारों में फिरती रही। बाजार में फिरते फिरते अचानक बेहोश होकर गिरी। उसे अस्पताल ले गए। वह बेचारी इस दुनिया से चली गयी, इसके मरते ही न जाने क्यों मुझे और मेरी पत्नी को आपकी बेटी का ख्याल आया।

हमने और हमारे सभी परिवार ने फैसला किया है कि हम अपनी भांजी के सभी दहेज का साज़-सामान आपके यहां पहुंचा देंगे। शादी जल्दी है तो इन्तज़ाम खुद करेंगे और अगर अभी कुछ देर है तो सभी खर्चों के लिए पैसा आप को नकदी पहुंचा देंगे। आप कृपा करके मना मत करना। अपना घर दिखा दें ताकि सारा सामान वहाँ पहुंचाया जा सके।

वैघ जी हैरान-परेशान हुए बोले:सतीश जी आप जो कुछ कह रहे हैं मुझे समझ नहीं आ रहा, मेरा इतना मन नहीं है। मैं तो आज सुबह जब पत्नी के हाथ की लिखी हुई चिठ्ठी यहाँ आकर खोलकर देखा तो मिर्च मसाला के बाद जब मैंने ये शब्द पढ़े: बेटी के दहेज का सामान
तो तुम्हें पता है मैं क्या लिखा। आप खुद यह चिठ्ठी जरा देखें। सतीश जी यह देखकर हैरान रह गए कि बेटी के दहेज के सामने लिखा हुआ था यह काम कान्हा का हे, कान्हा ही जाने।
सतीश जी यकीन करो आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ था कि पत्नी ने चिठ्ठी पर बात लिखी हो और मेरे सांवरे ने उसका उसी दिन व्यवस्था न कर दिया हो।

सारे बोलो राधे राधे!
आपकी भांजी की मौत का मुझे सदमा है, अफसोस है लेकिन मैं सावंरे की कुदरत से हैरान हूँ कि वे कैसे अपने काम दिखाता है।
यह भी जानें
अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

जीवन के बाद का प्रकृति नियम - प्रेरक कहानी

एक बार नारद जी ने भगवान से प्रश्न किया कि प्रभु आपके भक्त गरीब क्यों होते हैं?

मैं सावंरे की कुदरत से हैरान हूँ - प्रेरक कहानी

वृंदावन शहर में एक वैघ थे, जिनका मकान भी बहुत पुराना था। वैघ साहब अपनी पत्नी को कहते कि जो तुम्हें चाहिए एक चिठ्ठी में लिख दो दुकान पर आकर पहले वह चिठ्ठी खोलते।

बुजुर्गों का अनुभव हमें हर पल सिखाता है - प्रेरक कहानी

युवा युगल उन वरिष्ठ युगल से बहुत अधिक लगाव रखते थे, और उन्हें दादा दादी की तरह सम्मान देते थे..

जो कृष्ण में है, वही तुममें भी।

एक पुरानी कहानी है, एक शेरनी छलांग लगा रही थी। और छलांग के बीच में ही उसको बच्चा हो गया। वह तो छलांग लगाकर चली गई...

भाग्य में कितना धन है? - प्रेरक कहानी

हर मनुष्य को उसका प्रारब्ध (भाग्य) मिलता है। किसके भाग्य से घर में धन दौलत आती है हमको नहीं पता। लेकिन मनुष्य अहंकार करता है कि मैने बनाया, मैंने कमाया, मेरा है, मै कमा रहा हूँ, मेरी वजह से हो रहा है।

दान का खूबसूरत रूप - प्रेरक कहानी

उम्‍मीद की कोई किरण नजर नहीं आई। तभी एक मजदूरन ने मुझे आवाज लगाकर अपनी सीट देते हुए कहा मेडम आप यहां बैठ जाइए।..

जमींदार और मजदूर के कर्म का फल - प्रेरक कहानी

एक गांव में जमींदार और उसके एक मजदूर की साथ ही मौत हुई। दोनों यमलोक पहुंचे। धर्मराज ने जमींदार से कहा, ‘आज से तुम मजदूर की सेवा करोगे...

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa

मंदिर

Ram Bhajan - Ram Bhajan
×
Bhakti Bharat APP