एक दिन के भगवान |
भगवान की योजना:
एक बार भगवान से उनका सेवक कहता है, भगवान: आप एक जगह खड़े-खड़े थक गये होंगे, एक दिन के लिए मैं आपकी जगह मूर्ति बनकर खड़ा हो जाता हूँ, आप मेरा रूप धारण कर घूम आओ।
भगवान मान जाते हैं, लेकिन शर्त रखते हैं कि जो भी लोग प्रार्थना करने आयें, तुम बस उनकी प्रार्थना सुन लेना कुछ बोलना नहीं, मैंने उन सभी के लिए योजना बना कर रखी है। सेवक मान जाता है।
सबसे पहले मंदिर में एक व्यापारी आता है और कहता है, भगवान मैंने एक नया कारखाना डाला है, उसे खूब सफल करना। वह माथा टेकता है,
तो उसका बटुआ नीचे गिर जाता है। वह बिना बटुआ लिये ही चला जाता है।
सेवक बेचैन हो जाता है। वह सोचता है कि रोक कर उसे बताये कि उसका पर्स गिर गया है, लेकिन शर्त की वजह से वह नहीं कह पाता।
इसके बाद एक गरीब आदमी आता है और भगवान को कहता है कि घर में खाने को कुछ भी नहीं है, हमारी मदद करो।
तभी उसकी नजर बटुए पर पड़ती है। वह भगवान का शुक्रिया अदा करता है और वह बटुआ लेकर चला जाता है।
अब तीसरा व्यक्ति आता है, वह नाविक होता है। वह भगवान से कहता है कि मैं 15 दिनों के लिए जहाज लेकर समुद्र की यात्रा पर जा रहा हूँ,
यात्रा में कोई अड़चन न आये भगवान !!
तभी पीछे से व्यापारी पुलिस के साथ आता है और कहता है कि मेरे बाद ये नाविक आया है और इसी ने मेरा बटुआ चुराया है।
पुलिस नाविक को ले कर जा रही होती है तभी सेवक बोल पड़ता है कि बटुआ गरीब आदमी ने चुराया है। सेवक के कहने पर उस गरीब आदमी को पकड़ कर जेल में बंद कर दिया गया।
रात को भगवान आते हैं, तो सेवक खुशी-खुशी पूरा किस्सा बताता है। भगवान कहते हैं,
तुमने किसी का काम बनाया नहीं, बल्कि बिगाड़ा है।
वह व्यापारी गलत धंधे करता है, अगर उसका बटुआ गिर भी गया, तो उसे फर्क नहीं पड़ता। इससे उसके पाप ही कम होते, क्योंकि वह बटुआ गरीब इंसान को मिला था। बटुए के मिलने पर उसके बच्चे भूखों नहीं मरते।
रही बात नाविक की, तो वह जिस यात्रा पर जा रहा था, वहाँ तूफान आनेवाला था, अगर वह जेल में रहता, तो उसकी जान बच जाती, उसकी पत्नी विधवा होने से बच जाती,
पर तुमने सब गड़बड़ कर दी।
कई बार हमारे जीवन में भी ऐसी समस्याएँ आती है, जब हमें लगता है कि ये मेरे साथ ही क्यों हुआ लेकिन इसके पीछे भगवान की योजना होती है। इस कहानी को याद करना और सोचना कि
जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है l