Shri Hanuman Bhajan
Subscribe BhaktiBharat YouTube Channel - Subscribe BhaktiBharat YouTube ChannelHanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

भगवान को बिना खिलाए मंदिर से लौटना नहीं - प्रेरक कहानी (Bhagwan Ko Bina Khilaye Mandir Se Lautana Nahi)


Add To Favorites Change Font Size
एक ब्राम्हण था, भगवान श्री कृष्ण के मंदिर में बड़ी सेवा किया करता था। उसकी पत्नी इस बात से हमेशा चिढ़ती थी कि हर बात में वह पहले भगवान को लाता।
भोजन हो, वस्त्र हो या हर चीज पहले भगवान को समर्पित करता । एक दिन घर में लड्डू बने। ब्राम्हण ने लड्डू लिए और भोग लगाने चल दिया।

पत्नी इससे नाराज हो गई । कहने लगी कोई पत्थर की मूर्ति जिंदा होकर तो खाएगी नहीं जो हर चीज लेकर मंदिर की तरफ दौड़ पड़ते हो। अबकी बार बिना खिलाए न लौटना, देखती हूँ कैसे भगवान खाने आते हैं।

बस ब्राम्हण ने भी पत्नी के ताने सुनकर ठान ली कि बिना भगवान को खिलाए आज मंदिर से लौटना नहीं है। मंदिर में जाकर धूनि लगा ली। भगवान के सामने लड्डू रखकर विनती करने लगा।

एक घड़ी बीती। आधा दिन बीता, न तो भगवान आए न ब्राम्हण हटा। आसपास देखने वालों की भीड़ लग गई। सभी कौतूहलवश देखने लगे कि आखिर होना क्या है।

मक्खियाँ भिनभिनाने लगी ब्राम्हण उन्हें उड़ाता रहा। मीठे की गंध से चीटियां भी लाईन लगाकर चली आईं। ब्राम्हण ने उन्हें भी हटाया, फिर मंदिर के बाहर खड़े आवारा कुत्ते भी ललचाकर आने लगे । ब्राम्हण ने उनको भी खदेड़ा।

लड्डू पड़े देख मंदिर के बाहर बैठे भिखारी भी आए गए। एक तो चला सीधे लड्डू उठाने तो ब्राम्हण ने जोर से थप्पड़ रसीद कर दिया।

दिन ढल गया, शाम हो गई। न भगवान आए, न ब्राम्हण उठा। शाम से रात हो गई। लोगों ने सोचा, ब्राम्हण देवता पागल हो गए हैं, भगवान तो आने से रहे। धीरे-धीरे सब घर चले गए।

ब्राम्हण को भी गुस्सा आ गया, लड्डू उठाकर बाहर फेंक दिए। भिखारी, कुत्ते, चीटी, मक्खी तो दिन भर से ही इस घड़ी का इंतजार कर रहे थे, सब टूट पड़े। उदास ब्राम्हण भगवान को कोसता हुआ घर लौटने लगा। इतने सालों की सेवा बेकार चली गई, कोई फल नहीं मिला।

ब्राम्हण पत्नी के ताने सुनकर सो गया। रात को सपने में भगवान आए। बोले- तेरे लड्डू खाए थे मैंने। बहुत बढिय़ा थे, लेकिन अगर सुबह ही खिला देता तो ज्यादा अच्छा होता। कितने रूप धरने पड़े तेरे लड्डू खाने के लिए, मक्खी, चीटी, कुत्ता, भिखारी। पर तूने हाथ नहीं धरने दिया। दिन भर इंतजार करना पड़ा। आखिर में लड्डू खाए लेकिन जमीन से उठाकर खाने में थोड़ी मिट्टी लग गई थी।

अगली बार लाए तो अच्छे से खिलाना। भगवान चले गए। ब्राम्हण की नींद खुल गई। उसे एहसास हो गया। भगवान तो आए थे खाने लेकिन मैं ही उन्हें पहचान नहीं पाया। बस, ऐसे ही हम भी भगवान के संकेतों को समझ नहीं पाते हैं।

मुझमें राम, तुझमें राम सब में राम समाया,
सबसे कर लो प्रेम जगत में, कोई नहीं पराया ।
यह भी जानें

Prerak-kahani Bhog Prerak-kahaniPrasad Prerak-kahaniBhagwan Ka Bhog Prerak-kahaniBrahman Prerak-kahaniBhagwan Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

मानवता भीतर के संस्कारों से पनपती है - प्रेरक कहानी

श्री टी.एन. शेषन जब मुख्य चुनाव आयुक्त थे, तो परिवार के साथ छुट्टीयां बिताने के लिए मसूरी जा रहे थे। परिवार के साथ उत्तर प्रदेश से निकलते हुऐ रास्ते में..

आखिर कर्म ही महान है - प्रेरक कहानी

बुद्ध का प्रवचन सुनने के लिए गांव के सभी लोग उपस्थित थे, लेकिन वह भक्त ही कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।.

इन्द्रियों के भोग से कैसे जीव का नाश हो सकता है

परमात्मा द्वारा जीव को पांच ज्ञानेन्द्रियां प्रदान की गई हैं। श्रवण, त्वक,चक्षु, जिह्वा और घ्राणेन्द्रिय।इनके क्रमशः शब्द,स्पर्श, रूप, रस और गंध विषय हैं।

ज्ञान का सार्थक प्रयोग - प्रेरक कहानी

किसी ब्राह्मण के चार पुत्र थे। उनमें परस्पर गहरी मित्रता थी। चारों में से तीन शास्त्रों में पारंगत थे, लेकिन उनमें बुद्धि का अभाव था।

विष्णु अर्पण - प्रेरक कहानी

कुछ पंडितों ने एक औरत को कहा - घर में तू विष्णु जी की फोटो रख ले और रोटी खाने से पहले उनके आगे रोटी की थाली रखना कर कहना है विष्णु अर्पण..

गणेश विनायक जी की कथा - प्रेरक कहानी

एक गाँव में माँ-बेटी रहती थीं। एक दिन वह अपनी माँ से कहने लगी कि गाँव के सब लोग गणेश मेला देखने जा रहे हैं..

श्री गणेश एवं बुढ़िया माई की कहानी

एक बुढ़िया माई थी। मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। रोज बनाए रोज गल जाए। एक सेठ का मकान बन रहा था..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Aditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya Stotra
Durga Chalisa - Durga Chalisa
Subscribe BhaktiBharat YouTube Channel - Subscribe BhaktiBharat YouTube Channel
×
Bhakti Bharat APP