Download Bhakti Bharat APP
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowAditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya StotraFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

आचरण बड़ा या ज्ञान? - प्रेरक कहानी (Acharan Bada Ya Gyan)


Add To Favorites Change Font Size
राजा की सभा में एक बडा सम्मानित राज पुरोहित था। जब वह आता राजा भी खड़े होकर उसका स्वागत करते थे। एक दिन राजा ने अपनी सभासद के सामने समस्या पूर्ति रखी की आचरण बड़ा या ज्ञान?
राजपुरोहित ने कहा: प्रश्न के समाधान के लिए थोड़ा वक्त चाहिए।
राजपुरोहित ने एक प्रयोग किया, कोषागार से दो मोती चुरा लिए। खजांची ने देखा और हैरान रह गया।

दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ। राजपुरोहित ने फिर से रत्न चुरा लिए। बात राजा तक पहुंचीं और राजा ने जांच कराई, तथा राजपुरोहित की सच्चाई सामने आईं।

अगले दिन राजा ने राजपुरोहित को सम्मान नहीं दिया। उसके सम्मान में खड़ा नहीं हुआ। पुरोहित ने मन ही मन कहा: दवा काम कर गई।

राजा ने पुरोहित से पुछा अपने मोती, रत्न चुराएं है? जी हां, पुरोहित ने कहा।

राजा ने पुछा क्यों?: दरअसल में आपको दिखाना चाहता था कि आचरण बड़ा है या ज्ञान? मेरी राज्य सभा में जो प्रतिष्ठित है, सम्मान है, इज्जत है वह आचरण के कारण है या ज्ञान के?..

..आपने देखा कि मेरा ज्ञान मेरे पास था, उसमें कोई फर्क नहीं आया, उसमें कोई कमी नहीं आई। फिर भी आपने मेरा स्वागत नहीं किया। खड़े होकर मेरा सम्मान नहीं किया। क्योंकि मैं आचरण से गिर गया था राजपुरोहित से चोर बन गया था। मेरा आचरण गिर, गया था राजपुरोहित से चोर बन गया था।..

..मेरा आचरण गिरा, आपकी भौंहें तन गई। मैं समझ गया कि आचरण बड़ा है या ज्ञान? मुझे लगता है कि आपके प्रश्न का भी यही उत्तर है।
यह भी जानें

Prerak-kahani King Prerak-kahaniRaja Prerak-kahaniRaj Purohit Prerak-kahaniPurohit Prerak-kahaniManner Ya Knowledge Prerak-kahaniKhajana Prerak-kahaniChori Prerak-kahani

अगर आपको यह prerak-kahani पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस prerak-kahani को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

गणेश चतुर्थी कथा

पक्षी बहुत दुःखी हुआ और उसने प्रतिज्ञा की कि मैं समुद्र के जल को समाप्त कर दूंगी और अपने चोंच में सागर के जल को भर भर कर फेंकने लगी ऐसा..

श्री गणेश एवं बुढ़िया माई की कहानी

एक बुढ़िया माई थी। मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। रोज बनाए रोज गल जाए। एक सेठ का मकान बन रहा था..

एक छोटी सी अच्छी आदत - प्रेरक कहानी

पुराने समय में दो दोस्त थे। बचपन में दोनों साथ पढ़ते और खेलते थे। पढ़ाई पूरी होने के बाद दोनों दोस्त अपने अपने जीवन में व्यस्त हो गए।

सत्संग के महत्व - प्रेरक कहानी

मैं काफी दिनों से आपके सत्संग सुन रहा हूं, किंतु यहां से जाने के बाद मैं अपने गृहस्थ जीवन में वैसा सदाचरण नहीं कर पाता, जैसा यहां से सुनकर जाता हूं।

निस्वार्थ भाव से दान पुण्य करें - प्रेरक कहानी

ठाकुर का एक बेटा था, जो इस जगत को देख नहीं सकता था पर ठाकुर को उस परमात्मा पर विश्वास था..

पुरुषार्थ की निरंतरता - प्रेरक कहानी

आज की कहानी के नायक अंगूठा छाप तन्विक पढ़े लिखे तो नहीं थे पर हुनरमंद अवश्य थे। वह पेशे से एक माली हैं और बंजर धरा को हरीभरी करने की कला में माहिर हैं।

चाँदी के पात्र का सही मूल्य क्या? - प्रेरक कहानी

बहुत समय पहले की बात है। किसी गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। उसके दो बेटे थे..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Durga Chalisa - Durga Chalisa
×
Bhakti Bharat APP