प्रेरक कहानी: जब पंडित जी नदी मे बह गए..
अनपढ़ नाविक क्या कहे, उसने इशारे में ना कहा, तब पंडित जी मुस्कुराते हुए बोले तुम्हारी तो पौनी जिंदगी पानी में गई।...
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कर्म का भोग कैसे भोगते हैं? - प्रेरक कहानी
एक गाँव में एक किसान रहता था उसके परिवार में उसकी पत्नी और एक लड़का था। कुछ सालों के बाद पत्नी की मृत्यु हो गई..
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प्रेरक कहानी: एक सत्संग ऐसी भी
सत्संग में भी हम सिर्फ उन बातों को पसंद करते है जिसमे हमारा स्वार्थ सिद्ध होता हैं। जबकि सत्संग जाकर हमें सत्य...
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मन की शांति कैसे प्राप्त करें? - प्रेरक कहानी
सेठ अमीरचंद के पास अपार धन दौलत थी। उसे हर तरह का आराम था, लेकिन उसके मन को शांति नहीं मिल पाती थी। हर पल उसे कोई न कोई चिंता परेशान किये रहती थी...
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एक बार एक व्यक्ति श्री वृंदावन धाम में दर्शन करने गया। तभी एक संत अपनी कुटिया के बाहर बैठे बड़ा अच्छा पद गा रहे थे कि हो नयन हमारे अटके श्री बिहारी जी के चरण कमल में..
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नाम जप की महत्ता - प्रेरक कहानी
प्रभु नाम के जप ने एक भिखारी को सच्चा दाता बना दिया है। यह सुनकर अकबर बड़े हैरान हुये। ये है नाम जप का प्रभाव जो भिखारी से सच्चा दाता बना दे।
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कठिनाइयों में शांत रहना, वास्तव में शांति है।
एक राजा ने घोषणा की कि जो कोई भी चित्रकार उसे एक ऐसा चित्र बना कर देगा जो शांति को दर्शाता हो तो वह उसे मुँह माँगा पुरस्कार देगा।
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परमात्मा ने जो किया वह अच्छा ही किया था - प्रेरक कहानी
एक अमीर व्यक्ति समुद्र में अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई और छुट्टी के दिन वह नाव लेकर अकेले समुद्र की सैर करने निकल पड़ा।
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हीरे की सही पहचान - प्रेरक कहानी
तुम्हें यही लगता कि मैं ये हार हड़पना चाहता हूं। बेटा अभी बाजार मंदा चल रहा है, इस हार को बाद में बेचना।..
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हर समस्या का कोई हल होता है - प्रेरक कहानी
परेशानी के भंवर मे अपने को फंसा पाओ, कोई प्रकाश की किरण नजर ना आ रही हो, हर तरफ निराशा और हताशा हो तब तुम इस ताबीज को खोल कर इसमें रखे कागज़ को पढ़ना, उससे पहले नहीं!
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मंगलमय पवित्र दान - प्रेरक कहानी
एक सेठ ने अन्नसत्र खोल रखा था। उनमें दान की भावना तो कम थी, पर समाज उन्हें दानवीर समझकर उनकी प्रशंसा करे यह भावना मुख्य थी। उनके प्रशंसक भी कम नहीं थे।..
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युधिष्ठिर को कलयुग का पूर्ण आभास था
पाण्डवों का अज्ञातवाश समाप्त होने में कुछ समय शेष रह गया था। पाँचो पाण्डव एवं द्रोपदी जंगल मे छूपने का स्थान ढूंढ रहे थे।...
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ईर्ष्यालु व्यक्ति, किसी को सुखी-संपन्न नहीं देख सकता है - प्रेरक कहानी
ईर्ष्यालु व्यक्ति की प्रकृति यही होती है कि वह दूसरों को सुखी-संपन्न देखकर उनके जैसा उन्नत, संपन्न और सुखी होने की प्रेरणा ग्रहण नहीं करता...
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मृत्यु के बाद के साथी - प्रेरक कहानी
मनुष्य के ये तीन घनिष्ट मित्र हैं- धन, परिवार एवं कर्म। इन तीनों में से मनुष्य के कर्म ही मृत्यु के बाद भी उसका साथ निभाते हैं।
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राजा का मूर्ति प्रेम - प्रेरक कहानी
एक दिन जब एक सेवक इन मूर्तियों की सफाई कर रहा था तब गलती से उसके हाथों से उनमें से एक मूर्ति टूट गई।..
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