4 जुलाई से शुरू हो रही है कावड़ यात्रा अधिक मास होने के कारण 2 महीने का होगा और इसका समापन 31 अगस्त तक होगा। हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। सावन मास में भगवान शिव के भक्त कावड़ यात्रा कर महादेव को गंगाजल अर्पित करते हैं। सावन का महीना शुरू होते ही कावड़ यात्रा का प्रारंभ हो जाती है। कावड़ यात्रा किसी भी पवित्र जलस्रोत से किसी भी शिवधाम तक की जाती है।
इस बार अधिकमास होने के कारण भक्तों को 2 महीनों तक अपनी भक्ति जाहिर करने का मौका मिलेगा।कावड़ यात्रा शिव के भक्तों की एक वार्षिक तीर्थ यात्रा है। जो लोग उत्तराखंड के हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री आदि जैसे हिंदू तीर्थ स्थानों में गंगा नदी से पवित्र जल को लाकर महादेव को अर्पित करते हैं उन्हें कावड़ियों के रूप में जाना जाता है। यह त्योहार मानसून माह श्रावण जुलाई-अगस्त के दौरान चलता है।
कावड़ यात्रा के नियम
❀ यात्रा प्रारंभ करने से पूर्ण होने तक का सफर पैदल ही तय किया जाता है।
❀ इसके पूर्व व पश्चात का सफर वाहन आदि से तय जा सकता है। इसके नियम थोड़े जटिल माने जाते हैं। कुछ लोग पूरी यात्रा नंगे पाव करते हैं।
❀ कावड़ यात्रा के दौरान कांवड़िया अपनी कावड़ को जमीन पर नहीं रख सकता।
❀ बिना नहाए हुए कावड़ छूना पूरी तरह से वर्जित है।
❀ कावड़ यात्रा के दौरान मांस, मदिरा या किसी प्रकार का तामसिक भोजन को ग्रहण करना पूर्णतः वर्जित है।
कावड़ यात्रा करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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