हर वर्ष
शरद पूर्णिमा पर ठाकुर बांकेबिहारी को मंदिर के जगमोहन (चबूतरे) पर विराजमान किया जाता है। लेकिन सेवा अधिकारी रसिक बिहारी गोस्वामी ने मंदिर प्रशासक सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में अर्जी दाखिल कर मांग की कि आराध्या को गर्भगृह से बाहर न निकाला जाए।
इस पर मंदिर प्रशासक ने जगमोहन को राजतिलक करने का आदेश दिया। सुबह पौने आठ बजे मंदिर के कपाट खुले। इससे पहले भी मंदिर प्रबंधन ने गर्भगृह के सामने पूजा करने वालों के लिए एक सिंहासन रखा था। लेकिन सेवायत ने उन्हें बाहर नहीं निकाला और गर्भगृह में ही श्रृंगार आरती की।
गर्भगृह के बाहर विशाल सिंहासन लगा होने के कारण भक्तों को दर्शन नहीं मिल सके। आराध्य को जगमोहन में विराजित नहीं करने की खबर पर पुलिस और मंदिर प्रबंधन के लोग पहुंच गए। फिर पर्दा डालकर ठाकुर जी को जगमोहन में विराजमान कराया गया। मंदिर प्रबंधक मुनीष शर्मा ने बताया कि मामले की जानकारी मंदिर प्रशासक को दी जाएगी।
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