Shri Hanuman Bhajan
Subscribe BhaktiBharat YouTube Channel - Subscribe BhaktiBharat YouTube ChannelHanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम् (Tantroktam Ratrisuktam)


तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम्
तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम् का पाठ कवचम्, अर्गला, कीलकम् और वेदोक्तम् रात्रि सूक्तम् के बाद किया जाता है। तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम् के बाद देव्यथर्वशीर्षम् स्तोत्रम् का पाठ किया जाता है। ये सभी स्तोत्रम् महत्वपूर्ण स्तोत्रम् हैं जो चण्डी पाठ शुरू होने से पहले पढ़े जाते हैं।
॥ अथ तन्त्रोक्तं रात्रिसूक्तम् ॥
ॐ विश्वेश्वरीं जगद्धात्रीं स्थितिसंहारकारिणीम्।
निद्रां भगवतीं विष्णोरतुलां तेजसः प्रभुः॥1॥

ब्रह्मोवाच
त्वं स्वाहा त्वं स्वधा त्वं हि वषट्कारः स्वरात्मिका।
सुधा त्वमक्षरे नित्ये त्रिधा मात्रात्मिका स्थिता॥2॥

अर्धमात्रास्थिता नित्या यानुच्चार्या विशेषतः।
त्वमेव सन्ध्या सावित्री त्वं देवि जननी परा॥3॥

त्वयैतद्धार्यते विश्वं त्वयैतत्सृज्यते जगत्।
त्वयैतत्पाल्यते देवि त्वमत्स्यन्ते च सर्वदा॥4॥

विसृष्टौ सृष्टिरुपा त्वं स्थितिरूपा च पालने।
तथा संहृतिरूपान्ते जगतोऽस्य जगन्मये॥5॥

महाविद्या महामाया महामेधा महास्मृतिः।
महामोहा च भवती महादेवी महासुरी॥6॥

प्रकृतिस्त्वं च सर्वस्य गुणत्रयविभाविनी।
कालरात्रिर्महारात्रिर्मोहरात्रिश्च दारुणा॥7॥

त्वं श्रीस्त्वमीश्वरी त्वं ह्रीस्त्वं बुद्धिर्बोधलक्षणा।
लज्जा पुष्टिस्तथा तुष्टिस्त्वं शान्तिः क्षान्तिरेव च॥8॥

खड्गिनी शूलिनी घोरा गदिनी चक्रिणी तथा।
शङ्खिनी चापिनी बाणभुशुण्डीपरिघायुधा॥9॥

सौम्या सौम्यतराशेषसौम्येभ्यस्त्वतिसुन्दरी।
परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी॥10॥

यच्च किञ्चित् क्वचिद्वस्तु सदसद्वाखिलात्मिके।
तस्य सर्वस्य या शक्तिः सा त्वं किं स्तूयसे तदा॥11॥

यया त्वया जगत्स्रष्टा जगत्पात्यत्ति यो जगत्।
सोऽपि निद्रावशं नीतः कस्त्वां स्तोतुमिहेश्वरः॥12॥

विष्णुः शरीरग्रहणमहमीशान एव च।
कारितास्ते यतोऽतस्त्वां कः स्तोतुं शक्तिमान् भवेत्॥13॥

सा त्वमित्थं प्रभावैः स्वैरुदारैर्देवि संस्तुता।
मोहयैतौ दुराधर्षावसुरौ मधुकैटभौ॥14॥

प्रबोधं च जगत्स्वामी नीयतामच्युतो लघु।
बोधश्च क्रियतामस्य हन्तुमेतौ महासुरौ॥15॥

॥ इति रात्रिसूक्तम् ॥

Tantroktam Ratrisuktam in English

Om Vishveshvarim Jagaddhatrim Sthitisanharakarinim। Nidram Bhagavatim Vishnoratulam Tejasah Prabhuh॥1॥
यह भी जानें
अथ तन्त्रोक्तं रात्रिसूक्तम्

जो इस विश्व की अधीश्वरी, जगत को धारण करने वाली, संसार का पालन और संहार करने वाली तथा तेजःस्वरुप भगवान विष्णु की अनुपम शक्ति हैं, उन्हीं भगवती निद्रा देवी की भगवान ब्रह्मा स्तुति करने लगे

ब्रह्मा जी ने कहा - देवि! तुम्हीं स्वाहा, तुम्ही स्वधा और तुम्ही वषट्कार हो। स्वर
भी तुम्हारे ही स्वरुप हैं। तुम्हीं जीवनदायिनी सुधा हो। नित्य अक्षर प्रणव में अकार,
उकार, मकार - इन तीन मात्राओं के रूप में तुम्हीं स्थित हो ॥2॥

इन मात्राओं के अतिरिक्त जो बिन्दुरूपा नित्य अर्धमात्रा है, जिसका विशेष रुप से उच्चारण नहीं
किया जा सकता, वह भी तुम्हीं हो। देवि! तुम्ही संध्या, सावित्री तथा परम जननी हो ॥3॥

देवि! तुम्हीं इस विश्व-ब्रह्माण्ड को धारण करती हो। तुमसे ही इस जगत की सृष्टि होती
है। तुम्हीं से इसका पालन होता है और सदा तुम्हीं कल्प के अन्त में
सबको अपना ग्रास बना लेती हो ॥4॥

जगन्मयी देवि! इस जगत की उत्पत्ति के समय तुम सृष्टिरूपा हो, पालनकाल में
स्थितिरूपा हो तथा कल्पान्त के समय संहाररूप धारण करने वाली हो ॥5॥

तुम्हीं महाविद्या, महामाया, महामेधा, महास्मृति, महामोहरूपा,
महादेवी और महासुरी हो ॥6॥

तुम्हीं तीनो गुणों को उत्पन्न करने वाली सबकी प्रकृति हो।
भयंकर कालरात्रि, महारात्रि और मोहरात्रि भी तुम्हीं हो ॥7॥

तुम्हीं श्री, तुम्ही ईश्वरी, तुम्ही ह्री और तुम्ही बोधस्वरुपा बुद्धि हो।
लज्जा, पुष्टि, तुष्टि, शान्ति और क्षमा भी तुम्हीं हो ॥8॥

तुम खड्गधारिणी, शूलधारिणी, घोररुपा तथा गदा, चक्र, शङ्ख और धनुष धारण करने वाली
हो। बाण, भुशुण्डी और परिघ - ये भी तुम्हारे अस्त्र हैं ॥9॥

तुम सौम्य और सौम्यतर हो - इतना ही नहीं, जितने भी सौम्य एवं सुन्दर पदार्थ
हैं, उन सबकी अपेक्षा तुम अत्यधिक सुन्दरी हो। पर और अपर-सबसे परे रहने वाली परमेश्वरी तुम्ही हो ॥10॥

सर्वस्वरुपे देवि! कहीं भी सत्-असत् रूप जो कुछ वस्तुएँ हैं और उन सबकी जो शक्ति
है, वह तुम्हीं हो। ऎसी अवस्था में तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? ॥11॥

जो इस जगत की सृष्टि, पालन और संहार करते हैं, उन भगवान को भी जब
तुमने निद्रा के अधीन कर दिया है, तब तुम्हारी स्तुति करने में यहाँ कौन
समर्थ हो सकता है? ॥12॥

मुझको, भगवान शंकर को तथा भगवान विष्णु को भी तुमने ही शरीर
धारण कराया है; अतः तुम्हारी स्तुति करने की शक्ति किसमें है? ॥13॥

देवि! तुम तो अपने इन उदार प्रभावों से ही प्रशंसित हो। ये जो दोनों
दुर्धर्ष असुर मधु और कैटभ हैं, इन को मोह में डाल दो ॥14॥

जगदीश्वर भगवान विष्णु को शीघ्र ही जगा दो। साथ ही इनके भीतर इन
दोनो महान असुरों को मार डालने की बुद्धि उत्पन्न कर दो ॥15॥

॥ इस प्रकार तन्त्रोक्त रात्रिसूक्त सम्पूर्ण हुआ ॥

Mantra Maa Durga MantraMata MantraNavratri MantraMaa Sherawali MantraDurga Puja MantraMaa Durga MantraJagran MantraMata Ki Chauki MantraShukravar MantraFriday MantraStotram Mantra

अगर आपको यह मंत्र पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंत्र को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

मधुराष्टकम्: अधरं मधुरं वदनं मधुरं

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥

श्री राम रक्षा स्तोत्रम्

चरितं रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तरम् । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥ ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ..

शिव स्तुति: ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं

ॐ वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं, वन्दे जगत्कारणम् । वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं..

अच्युतस्याष्टकम् - अच्युतं केशवं रामनारायणं

अच्युतं केशवं रामनारायण कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् । श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकीनायकं रामचंद्रं भजे ॥..

महामृत्युंजय मंत्र

मंत्र के 33 अक्षर हैं जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 कोटि(प्रकार)देवताओं के द्योतक हैं।

आदित्य-हृदय स्तोत्र

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् । रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम् ॥ दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् ।

श्री गंगा स्तोत्रम्

देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे। शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले॥

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
Durga Chalisa - Durga Chalisa
Subscribe BhaktiBharat YouTube Channel - Subscribe BhaktiBharat YouTube Channel
×
Bhakti Bharat APP