माँ आदिशक्ति के काली रूप को समर्पित यह श्री कालकाजी मंदिर, जिसे जयंती पीठ या मनोकामना सिद्ध पीठ भी कहा जाता है। मनोकामना का शाब्दिक अर्थ है इच्छा, सिद्ध का अर्थ है प्रामाणिकता के साथ पूर्ण, और पीठ का अर्थ है तीर्थ। अतः यह पवित्र मंदिर माना जाता है, जहाँ सभी को अपनी इच्छाओं की पूर्ति हेतु माँ कालिका देवी का आशीर्वाद मिलता है।
माँ कालका मैया का यह मंदिर अरावली के सूर्यकूट पर्वत पे स्थित है। मुख्य मंदिर अष्टकोण तथा तांत्रिक विधि से स्थापित किया गया है। श्री स्वयंभू महाकालेश्वर शिव मंदिर भी इसी परिसर से जुड़ा है। महाकाल मंदिर की ही तरह कालका जी मंदिर भी किसी भी सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण काल मे बंद नहीं होता है। मंदिर परिसर मे ही मुंडन संस्कार के लिए व्यवस्था की गई है।
कहा जाता है कि महाभारत काल मे, भगवान कृष्ण और पांडवों ने युधिष्ठिर के शासन काल में देवी कालिका की पूजा की थी। मान्यता यह भी है कि, कालकाजी मंदिर दुनिया का सबसे पुराना माँ काली का मंदिर है।
मुख्य अनुष्ठान में प्रतिदिन दो बार मूर्ति का दूध से स्नान तथा उसके बाद आरती का आयोजन किया जाता है। वर्तमान स्थिति के अनुसार मंदिर पहुँचने का सबसे सरल साधन दिल्ली मेट्रो का कालकाजी स्टेशन है।
माता कालरात्रि के बारे मे जाने:
जब देवी पार्वती ने शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों का वध लिए तब माता ने अपनी बाहरी सुनहरी त्वचा को हटा कर देवी कालरात्रि का रूप धारण किया। कालरात्रि देवी पार्वती का उग्र और अति-उग्र रूप है। देवी कालरात्रि का रंग गहरा काला है। अपने क्रूर रूप में शुभ या मंगलकारी शक्ति के कारण देवी कालरात्रि को देवी शुभंकरी के रूप में भी जाना जाता है।
सवारी: गधा
अत्र-शस्त्र: चार हाथ - दाहिने हाथ अभय और वरद मुद्रा में हैं, और बाएं हाथों में तलवार और घातक लोहे का हुक धारण किए हैं।
ग्रह: शनि
Flag showing the faith community on Maa Kali, High of Main Shikar.
Kamandal wale baba, Baba Bholenath. Shri Nandi having lot of love by His Bhaktgan.
Wall decoration of Main Shikar. Devotee full of motivation and confidence to take Darshan of Maa
Bhakti Bhajan Kirtan with the guidance of Mahant Ji.
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