श्री रंगजी मंदिर कांचीपुरम के वरदराज पेरुमाल मंदिर की वास्तुकला से प्रेरित है। मंदिर की वास्तुकला दक्षिण और उत्तर भारतीय मंदिरों के वास्तुकला का मिश्रण प्रयास है।
श्री रंगजी मंदिर का स्थापना सन् 1851 में श्री रंगादिक स्वामीजी के प्रयासों से हुई थी। श्री गोवर्धन पीठ के वर्तमान प्रमुख श्री गोवर्धन रंगाचार्य, श्री रंगादिक स्वामीजी की पांचवीं पीढ़ी के संत हैं।
मंदिर मे दर्शन अथवा भ्रमण से पहले, मंदिर द्वारा दिए गये दिशा निर्देशों का अवलोकन अवश्य करें। मंदिर मे मूल विग्रह की तस्वीरें लेने की अनुमति नहीं है, जबकि आप यात्रा के दौरान अर्च-विग्रह की तस्वीरें ले सकते हैं। श्री रंगजी मंदिर किसी भी प्रकार के किसी भी गाइड की सुविधा नहीं देता है।
वैकुण्ठ एकादशी अर्थात पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान रंगनाथ जी गर्भग्रह से बाहर निकल कर भक्तों को दर्शन देते हैं। वैकुंठ उत्सव में प्रयोग होने वाले वाहन: सिंह, सूर्य, हंस, गरुड़, हनुमान, शेषनाग, कल्पवृक्ष, पालकी, सिंह शार्दूल वाहन, कांच का विमान (होली), रथ, अश्व (घोड़ा), चंद्र, पुष्प आदि।
Sri Rangadeshik Swamiji was born in the year 1809 A.D to Sri Srinivasacharyaji and his wife Ranganayaki devi at a small village called Arahan near present day Sriperumbudoor. He also had two brothers by the names of Sri Parthasarthy and Sri Venkatacharya. He lost both his parents at a very tender age and was brought up by his maternal grandparents.
रंगजी मंदिर
श्री पुष्करणी कुंड
बारहद्वारी
पूर्वी द्वार
रंगजी मंदिर
रंगजी मंदिर
Please don`t smear the temple walls and don`t throw garbage inside the temple premises A garbage bin is located in the outer periphery for disposing of waste.
Sri Rangji management has no arrangement with any guide. The guides are known to mislead devotees by giving them incorrect information and then try to extract money from them. Please be careful of these guides and in case of any clarifications regarding temple activities please contact any employee of the temple or at the office of manager of SriRangji temple trust.
No weapons are allowed inside the temple. Try to maintain silence in the temple, particularly during the puja. Maintain order and decorum when the prasadam is being distributed.
1845
मंदिर के लिए निर्माण कार्य।
1851
श्री रंगनाथ जी मंदिर का उद्घाटन।
1867
मंदिर की देखभाल के लिए श्री रंगजी ट्रस्ट कार्य कर रहा है।
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