माँ मनसा देवी मंदिर में माँ की शक्ति लंकापति रावण द्वारा स्थापित की गई थी। इस गांव की स्थापना रावण ने की थी। इसीलिए इस गांव का नाम रावण उर्फ बड़ा गांव है। रावण का बसाया गांव होने के कारण इस गांव में दशहरे पर रावण का पुतला नहीं फूंका जाता। इतिहासकार भी मान रहे हैं कि बड़ा गांव से महाभारत और रामायण काल का गहरा नाता है।
Holi Poojan: 10 March 2020
पुजारी श्री राम शंकर तिवारी जी के अनुसार, यह शक्ति सिद्ध पीठ होने के कारण, यहाँ सच्चे मन और निस्वार्थ भाव से मांगी गई मनोकामना मां जरूर पूरी करती हैं। मंशा देवी सिद्ध पीठ में नवरात्रि पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
सिद्ध पीठ मंदिर में भगवान विष्णु की दशावतार मूर्ति स्थापित है। इतिहासकार केके शर्मा का कहना है कि यहां जो मूर्ति है वह सातवीं शताब्दी की है। इसके अलावा मंदिर में प्राचीन स्तंभ हैं, जिन पर बनी मूर्ति अजंता अलोरा जैसी हैं। पुरातत्व की दृष्टि से भी मंदिर बड़ा महत्व रखता है।
मंदिर का इतिहास:
मान्यता है कि रावण हिमालय से तपस्या कर वापस लौट रहे थे। उनके साथ देवी शक्ति भी थी। यह देवी शक्ति उन्हें तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान में मिली थी। वरदान देते समय शर्त थी कि देवी की शक्ति को रावण कहीं बीच में नहीं रखेंगे। यदि उन्होंने शक्ति को बीच में कहीं रख दिया तो यह शक्ति उसी स्थान पर स्थापित हो जाएगी।
रावण को जब इस स्थान पर आकर लघुशंका लगी तो उसने वहां से जा रहे एक ग्रामीण को देवी शक्ति पकड़ा दी। ग्रामीण के हाथों में देवी शक्ति जाते ही वह उसी स्थान पर स्थापित हो गई। रावण ने लाख जतन किए देवी शक्ति वहां से उठाकर अपने साथ ले जाने के लिए, लेकिन कामयाब नहीं हो सका। बाद में इसी स्थान पर मां मंशा देवी का मंदिर स्थापित कर दिया गया।
माँ मनसा देवी मंदिर
माँ मनसा देवी मंदिर
माँ मनसा देवी मंदिर
माँ मनसा देवी मंदिर
माँ मनसा देवी मंदिर
माँ मनसा देवी मंदिर
माँ मनसा देवी मंदिर
माँ मनसा देवी मंदिर
माँ मनसा देवी मंदिर
माँ मनसा देवी मंदिर
माँ मनसा देवी मंदिर
माँ मनसा देवी मंदिर
Satyug
लंकापति श्री रावण द्वारा स्थापित शक्ति पीठ।
1989
श्री बालाजी मंदिर का उद्घाटन 1989 में हुआ।
23 September 1996
श्री राम दरबार का उद्घाटन त्यागी परिवार ने किया।
19 April 2005
2005 में मुख्य द्वार की नींव रखने की रस्म।
25 September 2009
श्री राधा कृष्ण मंदिर का उद्घाटन आश्विन शुक्ल सप्तमी को हुआ।
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