कालिका माता मंदिर भारत के गुजरात के पंचमहल जिले में पावगढ़ पहाड़ी के पास स्थित है। पावागढ़ की पहाड़ियों पर स्थित माता महाकाली मंदिर, प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। मंदिर परिसर चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क का हिस्सा है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।
कालिका माता मंदिर का इतिहास और वास्तुकला:
कालिका माता मंदिर का निर्माण 10वीं या 11वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर में देवी-देवताओं की तीन छवियां हैं: केंद्रीय छवि कालिका माता की है, जो दाईं ओर काली और बाईं ओर बहुचरमाता की है। चैत्र महीने पर मंदिर में एक मेला लगता है जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं। मंदिर में काली यंत्र की पूजा की जाती है। मंदिर को काली माता का निवास माना जाता है, और यह शक्ति पीठों में से एक है, क्योंकि देवी सती के प्रतीकात्मक पैर की अंगुली यहां गिर गई थी।
प्रमुख त्यौहार:
यह मंदिर गुजरात के सबसे बड़े पर्यटन और तीर्थस्थलों में से एक है, जो हर साल बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करता है। मंदिर में आने वाले कालिका माता के भक्त घंटी-धातु के प्रतीकों को पीटकर पूजा करते हैं। विशेष रूप से चैत्र की पूर्णिमा, दशहरा, नवरात्रि नौ दिवसीय सभी शक्ति देवी की भक्ति उत्सव प्रमुख त्यौहार है। इस त्यौहार के लिए बड़ी संख्या में भक्त एक साथ आते हैं।
हाल की घटना:
मंदिर के शिखर को लगभग 500 साल पहले सुल्तान महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था। हालांकि, पावागढ़ पहाड़ी पर स्थित इस 11वीं शताब्दी के मंदिर के शिखर को पुनर्विकास योजना के तहत बहाल कर दिया गया है और प्रधानमंत्री ने इसके शीर्ष पर झंडा फहराया। मोदी जी ने कहा, आजादी के 75 साल में भी पांच सदियों तक महाकाली मंदिर के ऊपर झंडा नहीं फहराया गया था। मंदिर पर फहराया गया झंडा न केवल हमारी आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह भी कहता है कि सदियां बीत जाती हैं, युग बीत जाते हैं। , लेकिन हमारा विश्वास शाश्वत है।
कालिका माता मंदिर कैसे पहुंचे:
कालिका माता मंदिर गुजरात के हलोल के पास स्थित है। जब आप गुजरात या वडोदरा शहर के आस-पास के क्षेत्रों का दौरा कर रहे हों तो आप यहाँ जा सकते हैं। उड़नखटोले (रोपवे) या सीढि़यों से मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। कदमों से इसमें लगभग एक घंटा लगता है और केबल कार(उड़नखटोले) से मंदिर पहुंचने में केवल 15 मिनट लगते हैं । यह एक चट्टान पर घने जंगल के बीच स्थित है। रोपवे से दृश्य मनमोहक है।
पहाड़ी की तलहटी में दूधिया तालाब एवं तलाई दो तालाब तथा एक प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर स्थित है। यह मंदिर भक्तिभारत डॉट कॉम द्वारा 400वाँ प्रकाशित किया गया है।
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