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हर की पौड़ी, हरिद्वार - Har Ki Pauri, Haridwar

मुख्य आकर्षण - Key Highlights

◉ हरिद्वार में गंगा के किनारे हर की पौड़ी प्रमुख और लोकप्रिय घाट है।
◉ इसे राजा विक्रमादित्य ने बनवाया था।
◉ हर की पौड़ी पर प्रतिदिन शाम को मां गंगा की संध्या आरती की जाती है। इस आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं और इसका नजारा बेहद मनोरम होता है।

हर की पौड़ी या हरि की पौड़ी एक पवित्र महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान भारत के उत्तराखंड राज्य के धार्मिक शहर हरिद्वार में स्थित है। हर की पौड़ी का अर्थ है हरि यानी नारायण के चरणहर की पौड़ी पर प्रतिदिन शाम को मां गंगा की संध्या आरती की जाती है। इस आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं और इसका नजारा बेहद मनोरम होता है।

हर की पौड़ी का महत्व
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, हर की पौड़ी में भगवान विष्णु के पैरों के निशान वाली एक चट्टान है। इस कारण इस घाट को हर की पौड़ी के नाम से जाना जाता है। यह पवित्र स्थान चार धाम का प्रवेश द्वार है। गंगा के उत्तरी भाग में स्थित 'बद्रीनारायण', 'केदारनाथ' नामक भगवान विष्णु और शिव के प्रसिद्ध तीर्थों का मार्ग इसी स्थान से होकर गुजरता है। इसीलिए इसे 'हरिद्वार' और 'हरद्वार' दोनों नामों से जाना जाता है।

हर की पौड़ी के पीछे की पौराणिक कथा
शिवालिक पहाड़ियों के कोड में स्थित हरिद्वार हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थान है। यहां भागीरथी गंगा पहाड़ियों से निकलकर मैदानी इलाकों में पहली बार प्रवेश करती है। हिन्दू शास्त्रों में हरिद्वार को राजधानीस्थान, मायापुरी, गंगाद्वार आदि अनेक नामों से पुकारा गया है। हरिद्वार का प्राचीन पौराणिक नाम 'माया' या 'मायापुरी' है, जो सात मोक्ष दायिनी पुरियों में गिना जाता था।

भर्तृहरि के नाम से हरि भी विद्यमान हैं, जिसके कारण इस स्थान को हर की पौड़ी कहा जाता है। इस पर्वत के नीचे भर्तृहरि नाम की एक गुफा भी है। हर की पौड़ी वही स्थान है जहां समुद्र मंथन के दौरान कलश से अमृत छलका था। कहा जाता है कि वैदिक काल में श्री हरि विष्णु और शिवजी भी इसी स्थान पर प्रकट हुए थे। तब से यहां हर बारह साल में लगने वाले कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। कुंभ मेले के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इस शहर की पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में अपने पापों को नष्ट करने के लिए भक्तों का साल भर यहां आना-जाना लगा रहता है।

यहां दो नदियां अलकनंदा और विष्णु गंगा का मिलन होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी स्थान पर नारद मुनि ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी। यहां भगवान विष्णु का एक मंदिर भी है।

कैसे पहुंचे हर की पौड़ी?
सड़क परिवहन और रेलवे दोनों में हरिद्वार अन्य शहरों के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां तक ​​पहुंचने के लिए राज्य परिवहन निगम की बसें अपनी सेवाएं देती हैं। हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए देहरादून निकटतम हवाई अड्डा है।

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समय - Timings

त्योहार
Ganga Aarti, Kumbh Mela | यह भी जानें: एकादशी

Har Ki Pauri, Haridwar in English

Har ki Pauri or Hari ki Pauri is a sacred important religious place located in the religious city of Haridwar in the state of Uttarakhand, India. Har ki Pauri means feet of Hari i.e. Narayan. Evening Aarti of Maa Ganga is performed every evening at Har Ki Pauri. A large number of devotees take part in this aarti and its view is very picturesque.

फोटो प्रदर्शनी - Photo Gallery

Photo in Full View
Har Ki Paudi

Har Ki Paudi

Rope Way

Rope Way

Ganga Puja

Ganga Puja

जानकारियां - Information

संस्थापक
राजा विक्रमादित्य
समर्पित
भगवान विष्णु, भगवान शिव, गंगा माता

कैसे पहुचें - How To Reach

पता 📧
Har Ki Pauri Haridwar Uttarakhand
सोशल मीडिया
निर्देशांक 🌐
29.9568589°N, 78.17157°E
हर की पौड़ी, हरिद्वार गूगल के मानचित्र पर
http://www.bhaktibharat.com/mandir/har-ki-pauri?truecan

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