जाहरवीर गोगाजी का प्रचीन मंदिर लगभग 1 हजार वर्ष से पुराना ऐतिहासिक मंदिर है, जोकि श्रीगंगानगर जयपुर की रेल लाइन पर हनुमानगढ़ जिले में गोगामेड़ी रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एक तरफ गोगाजी का मंदिर है तो दूसरी तरफ गोगाणा गाँव का गोरखटीला है, सम्पूर्ण भारत में और विशेषकर उत्तरी भारत में गोगाजी की लोकप्रियता इस उक्ति से आंकी जा सकती है।
गाँव गाँव में गोगा, अर गाँव गाँव में खेजड़ी
अर्थात - हर गाँव में खेजड़ी के पेड़ के निचे गोगाजी का थान देखने को मिलेगा
गोगामेड़ी गोगादेव जी के मंदिर का नाम है, इसी मंदिर के कारण इस गाँव का नाम गोगामेड़ी पड़ा। ऊँचे स्थान पर बने होने के कारण इसे गोगामेड़ी नाम दिया गया। यह मंदिर एक मंजिल का है तथा ऊँचे टीले पर स्थित है। कुछ भक्तों के द्वारा अपने देश-प्रदेश की उच्चारण भिन्नता के कारण इसे गोगामेडी भी कहा जाता है।
मुख्य मंदिर में प्रवेश करते ही सामने छोटी सी चबूतरीनुमा संगमर की समाधि स्थापित है। इस समाधि पर उकेरी हुई तीन मूर्तियों के दर्शन किये जा सकते हैं, जो क्रमशः बीच मे घोड़े पर सवार गोगादेव जी, घोड़े के आगे राजगुरु सेनापति नाहरसिंह पांडे जी एवं घोड़े के पीछे शस्त्रागार प्रभारी भज्जू कोतवाल जी मूर्तिमान हैं।
गोगामेड़ी मंदिर के गर्भग्रह की बाईं ओर की दिवार पर सबसे प्रथम नाहर सिंह पांडे द्वारा पूजित गोगा ज्योति (अखंड ज्योति) प्रज्वलित है। श्री गोगाजी द्वारा समाधी लेने के पश्चात सर्वप्रथम नाहर सिंह पांडे ने मंदिर की प्रथम ज्योति प्रज्वलित की थी। अतः यह प्रथम ज्योति नाहरसिंह पांडे ज्योत तथा समाधी ज्योत के नाम से भी जानी जाती है। तभी से यह अखंड ज्योति अभीतक निरंतर प्रज्वलित हुए जा रही है। आगे बढ़ने पर निकास द्वार से थोड़ा पहले मंदिर मे उचित रौशनी हेतु दूसरा दीपक भी मौजूद है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार यहाँ हर साल 20-30 लाख श्रद्धालु दर्शन करने पहुँचते हैं। जिनमें से ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार से आते हैं। पंजाब से शुक्ल पक्ष में अधिक श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
नाहर सिंह कुंड -
मुख्य मंदिर से निकलते ही, परिक्रमा मार्ग मे नाहर सिंह पांडे जी का जल कुंड स्थित है जो लगभग 4-5 फीट के वृत्ताकार क्षेत्र में है। इस कुंड पर नतमस्तक होकर भक्तगण मनौती पूर्ण हेतु आशीर्वाद लेते है तथा जल कुंड से पानी का थापा, छींटा या जल का स्पर्श करते हैं। जल के कुछ छींटे मात्र ही देव का आशीर्वाद स्वरुप माने जाते हैं तथा भक्तों की मनोकामन पूर्ण करते हैं। आज-कल के समय में भी नाहर सिंह पांडे जी के वशंज कुंड पर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। यह जलकुंड सरस्वती नदी की भूमिगत जलधारा के ऊपर पंडित नाहर सिंह पांडे का मौलिक पूजा स्थान हैI
गोगाजी -
गोगाजी को लोग सॉपो(सर्प) का देवता, गुग्गा वीर, जाहिर वीर, जाहर पीर आदि नामों से भी पुकारते हैं। यह एक लोकमान्यता है कि सर्प दंष से प्रभावित व्यक्ति को यदि गोगाजी की मेड़ी अर्थात मंदिर तक ले जाये तो वह व्यक्ति सर्प विष से मुक्त हो जाता है।
गोगाजी मंदिर मेला
गोगाजी मंदिर में हर साल 15 दिन का मेला लगता है। जो रक्षाबंधन के दूसरे दिन से शुरू होता है। इसमें सबसे ज्यादा भीड़ कृष्ण पक्ष की छठ, सप्तमी और अष्टमी को और शुक्ल पक्ष की छठ, सप्तमी और अष्टमी को होती है।
गोगाजी मंदिर कैसे पहुंचे?
जयपुर शहर देश के सभी राष्ट्रीय सड़कों, रेलवे और वायुमार्ग से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दत्ताखेड़ा जयपुर से 15 किमी और जयपुर से सदलपुर स्थित है, गोगाजी मंदिर तक पहुँचना बहुत आसान है।
गुरु गोरखनाथ जी तपोभूमि एवं मन्दिर, गोरखटीला, गोगामेड़ी
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