भालका तीर्थ के बारे में मान्यता है कि यहाँ पर विश्राम करते समय भगवान श्री कृष्ण के बाएं पैर में शिकारी ने गलती से बाण मारा था। जिसके पश्चात् उन्होनें पृथ्वी पर अपनी लीला समाप्त करते हुए निजधाम प्रस्थान किया। बाण या तीर को भल्ल भी कहा जाता है, अतः इस तीर्थ स्थल को भालका तीर्थ के नाम से जाना गया है। श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा प्रबंधित यह भव्य तीर्थ एवं पर्यटन स्थल सोमनाथ मंदिर से ४ किलोमीटर दूर स्थित है।
पौराणिक कथा
महाभारत में एक शिकारी की कहानी के बारे में बताता गया है, जो कि दुनिया से श्री कृष्ण के प्रस्थान के लिए एक साधन के रूप में जाना जाता है। श्री कृष्ण जंगल में पीपल के एक पेड़ के नीचे ध्यान मुद्रा में लेट हुए थे। तभी एक जरा नाम का शिकारी, भगवान कृष्ण के बाएं में आंशिक रूप से दिखी मणी को हिरण की आँख समझ कर, उनके ऊपर तीर से निशाना लगाया। बाण भगवान के पैर में लगा और खून बहिने लगा। शिकारी को तब अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने भगवान से छमा माँगी। यह घटना पृथ्वी से कृष्ण के प्रस्थान का प्रतीक है। यह घटना द्वापर युग के अंत का संकेत थी।
श्री कृष्ण निजाधम प्रस्थान लीला के बारे में महाभारत, श्रीमद भागवत, विष्णु पुराण और अन्य आध्यात्मिक पुस्तकों में उल्लेखित है। वर्तमान में यह पीपल का पेड़ अभी भी वहाँ स्थित है और इसे इस शानदार मंदिर में संरक्षित रखा गया है।
Complete left side architecture with vat vriksh and other trees.
Shri Krishna in shayan mudra with Jara hunter in chama mudra are main murti of this temple.
Center top shikar with flag among the greenery of Peepal and Banyan tree.
As pic shows the beautiful pillars of the temple taken from left side.
Nearby Shri Prajapita Brahma Kumaris Ishwarya Vishva Vidhyalaya, college architecture is like like the shape of large Shivling.
Shri Pragateshwar Mahadev temple within the Bhalka Tirth, shows the bonding between Shir Narayan and Mahadev.
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