जब अहमदाबाद का नाम कार्णावती हुआ करता था, तब से नगर देवी माँ भद्रकाली मंदिर अहमदाबाद के लोगों का संरक्षक बना हुआ है। तब ये मंदिर माणिक चौक पर हुआ करता था। आततायियों की विध्वंशकारी गतिविधियों के कारण मंदिर को काफी हानि हुई। 14वीं शताब्दी मे अहमद शाह ने अहमदाबाद को बसाया, तब उन्होंने अपने किले के बाहर अपने राज पुरोहित की इच्छानुसार मंदिर की स्थापना कुछ एसे करवाई, कि माता की दृष्टि संपूर्ण नगर पर हो। आज भी यह मंदिर उन राज पुरोहित के वंशजों की ही देख-रेख मे है।
अहमदाबाद मे रहिने और आने वाले हर व्यक्ति को माँ की पूजा अथवा ध्यान जरूर करना चाहिए, माँ भद्रकाली नगर देवी होने के कारण यहाँ की रक्षक देवी भी हैं। मंदिर का मुख्य आकर्षण, माँ काली की प्रतिदिन बदलने वाली सवारियाँ, जैसे शेर, हाथी, नंदी, कमल की सवारियाँ है। नगर का व्यापारी वर्ग, माँ के चरणो मे कमल पुष्पअर्पित कर अपने नये कार्य की सुरुआत करते हैं।
हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी हर साल नववर्ष के मौके पर मंदिर दर्शन आया करते हैं। मंदिर साल मे दो वार अन्नकुट का आयोजन करता है। शारदीय और चैत्र दोनों नवरात्रि के बाद यहाँ भंडारे का आयोजन होता है। जनवरी के अंतिम सप्ताह मे देवी भागवत का आयोजन होता है। हर रविवार को माई के भोग प्रसाद का वितरण किया जाता है।
Bhadrakali temple, one of the most busiest point of Ahmedabad. Busy with mata bhakti and business activities.
Female police security also available in the temple to handle any undesirable activity. Nearby Mata temple well known in local community. There are few pooja shops available with different variety of utilities.
12th century
पहला मंदिर जब अहमदाबाद का नाम कर्णावती रखा गया था। उस समय मंदिर वर्तमान माणिक चौक पर स्थापित किया गया था।
14th century
मुगल सम्राटों द्वारा कई हमलों के बाद, मंदिर को भद्र किले में अहमद शाह द्वारा पुनर्निर्माण किया गया था।
1920
वर्तमान संरचना रमणानी जी महाराज द्वारा स्थापित की गई थी।
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