अलोपी देवी मंदिर प्रयागराज के अलोपीबाग क्षेत्र में स्थित है। अलोपी देवी मंदिर को अलोपीशंकरी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को माता के 51 शक्तिपीठों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर माता सती के दाहिने हाथ का पंजा कटकर यहीं एक तालाब में गिरा था और विलुप्त हो गया था। इस मंदिर को ललिता मंदिर और महादेवेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। अलोपी देवी मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है और दूर-दूर से भक्त यहां अपनी मनोकामना मांगने आते हैं। भक्त यहां मन्नत मांगते समय अपने हाथों पर रक्षा सूत्र बांधते हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि जब तक रक्षा सूत्र बंधा रहेगा, तब तक माता उस भक्त की रक्षा करती रहेंगी।
अलोपी देवी मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
मंदिर में माता की मूर्ति के स्थान पर एक पालने (लकड़ी के डोला) की पूजा की जाती है जो दस फीट चौड़े तालाब पर लटका हुआ है। मंदिर प्रांगण में एक तालाब के ऊपर एक चांदी का मंच है जिस पर पालना लटका हुआ है। यहां भक्त रक्षा सूत्र बांधते हैं और माता से सुरक्षा की कामना करते हैं। अलोप का अर्थ है लापता और शंकरी का अर्थ है माता पार्वती। यह शक्तिपीठ प्रयागराज कुम्भ में प्रसिद्ध संगम स्थल (जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं) के बहुत करीब है।
मंदिर का इतिहास बहुत पुराना नहीं बताया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब मराठा शासन के महान योद्धा श्रीनाथ महादजी शिंदे 1772 ई. में प्रयागराज में थोड़े समय के लिए रुके थे, तब रानी बैजाबाई सिंधिया के अनुरोध पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। मंदिर के निर्माण के साथ-साथ महादजी शिंदे ने प्रयागराज के संगम तटों की मरम्मत और इस क्षेत्र का जीर्णोद्धार भी करवाया। पहले यहां एक छोटा सा स्थानीय मंदिर था जिसमें एक झूला लटका रहता था। बाद में इसकी व्यवस्था श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने संभाल ली। इस अखाड़े को दारागंज का अखाड़ा कहा जाता है और मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी इसी पर है।
अलोपी देवी मंदिर के दर्शन का समय
अलोपी देवी मंदिर पूरे सप्ताह खुला रहता है और दर्शन का समय सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक है।
अलोपी देवी मंदिर में प्रमुख त्यौहार
अलोपी देवी मंदिर माता का शक्तिपीठ है इसलिए यहाँ नवरात्रि का भव्य मेला लगता है। नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है और कई तरह के आयोजन किये जाते हैं। इसके अलावा सोमवार और शुक्रवार को मंदिर परिसर के बाहर मेला भी लगता है जिसे माता का मेला कहा जाता है।
कैसे पहुंचें अलोपी देवी मंदिर
प्रयागराज शहर उत्तर प्रदेश का एक बहुत ही प्रसिद्ध शहर है। यह स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क योजना का हिस्सा है और यदि आप NH-2 पकड़ते हैं, तो आप दिल्ली, आगरा, कानपुर, वाराणसी, पटना और कोलकाता जैसे बड़े शहरों से आसानी से प्रयागराज पहुंच सकते हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के लगभग सभी शहरों से प्रयागराज के लिए निजी और राज्य परिवहन निगम की बसें चलती हैं। अलोपी देवी मंदिर से प्रयागराज जंक्शन मात्र 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
6 AM - 10 PM
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