Haanuman Bhajan
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaRam Bhajan - Ram BhajanHanuman Chalisa - Hanuman ChalisaAchyutam Keshavam - Achyutam Keshavam

ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Jyeshtha Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha)


ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा
Add To Favorites Change Font Size
सतयुग में सौ यज्ञ करने वाले एक पृथु नामक राजा हुए। उनके राज्यान्तर्गत दयादेव नामक एक ब्राह्मण रहते थे। वेदों में निष्णात उनके चार पुत्र थे। पिता ने अपने पुत्रों का विवाह गृहसूत्र के वैदिक विधान से कर दिया। उन चार बहूओं में बड़ी बहू अपनी सास से कहने लगी - हे सासुजी! मैं बचपन से ही संकटनाशक गणेश चतुर्थी का व्रत करती आई हूँ। मैंने पितृगृह में भी इस शुभदायक व्रत को किया हैं। अतः हे कल्याणी! आप मुझे यहाँ व्रतानुष्ठान करने की अनुमति प्रदान करें।
पुत्रवधू की बात सुनकर उसके ससुर ने कहा - हे बहू! तुम सभी बहूओं में श्रेष्ठ और बड़ी हो। तुम्हें किसी प्रकार का कष्ट नहीं है और न तुम भिक्षुणी हो। ऐसी स्तिथि में तुम किस लिए व्रत करना चाहती हो? हे सौभाग्यवती! अभी तुम्हारा समय उपभोग करने का हैं। ये गणेश जी कौन है? फिर तुम्हें करना ही क्या हैं?

कुछ समय पश्चात बड़ी बहू गर्भिणी हो गई। दस मास बाद उसने सुन्दर बालक का प्रसव किया। उसकी सास बराबर बहू को व्रत करने का निषेध करने लगी और व्रत छोड़ने के लिए बहू को बाध्य करने लगी। व्रत भंग होने के फलस्वरूप गणेश जी कुछ दिनों में कुपित हो गये और उसके पुत्र के विवाह काल में वर-वधू के सुमंगली के समय उसके पुत्र का अपरहण कर लिया। इस अनहोनी घटना से मंडप में खलबली मच गई। सब लोग व्याकुल होकर कहने लगे, लड़का कहाँ गया? किसने अपरहण कर लिया। बारातियों द्वार ऐसा समाचार पाकर उसकी माता अपने ससुर दयादेव से रो-रोकर कहने लगी। हे ससुरजी! आपने मेरे गणेश चतुर्थी व्रत को छुड़वा दिया है, जिसके परिणाम स्वरुप ही मेरा पुत्र गायब हो गया हैं। अपनी पुत्रवधू के मुख से ऐसी बात सुनकर ब्राह्मण दयादेव बहूत दुखी हुए। साथ ही पुत्रवधू भी दुखित हुई। पति के लिए दुखित पुत्रवधू प्रति मास संकटनाशक गणेश चतुर्थी का व्रत करने लगी।

एक समय की बात है कि गणेश जी एक वेदज्ञ और दुर्बल ब्राह्मण का रूप धारण करके भिक्षाटन के लिए इस मधुरभाषिणी के घर आए। ब्राह्मण ने कहा कि हे बेटी! मुझे भिक्षा स्वरुप इतना भोजन दो कि मेरी क्षुधा शांत हो जाए। उस ब्राह्मण की बात सुनकर उस धर्मपरायण कन्या ने उस ब्राह्मण का विधिवत पूजन किया। भक्ति पूर्वक भोजन कराने के बाद उसने ब्राह्मण को वस्त्रादि दिए। कन्या की सेवा से संतुष्ट होकर ब्राह्मण कहने लगा - हे कल्याणी! हम तुम पर प्रसन्न हैं, तुम अपनी इच्छा के अनुकूल मुझसे वरदान प्राप्त कर लो। मैं ब्राह्मण वेशधारी गणेश हूँ और तुम्हारी प्रीति के कारण आया हूँ। ब्राह्मण की बात सुनकर कन्या हाथ जोड़कर निवेदन करने लगी - हे विघ्नेश्वर! यदि आप प्रसन्न हैं तो मुझे मेरे पति के दर्शन करा दीजिये। कन्या की बात सुनकर गणेश जी ने उससे कहा कि हे सुन्दर विचार वाली, जो तुम चाहती हो वही होगा। तुम्हारा पति शीघ्र ही आवेगा। कन्या को इस प्रकार का वरदान देकर गणेश जी वहीँ अंतर्ध्यान हो गए।

कुछ समय के बाद उसका पति घर वापस आ गया। सभी बहुत प्रसन्न हुए, विधि अनुसार विवाह कार्य सम्पन्न किया। इस प्रकार ज्येष्ठ मास की चौथ सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली है।
Achyutam Keshavam - Achyutam Keshavam
यह भी जानें

Katha Jyeshtha KathaChaturthi KathaSankashti Chaturthi KathaGanesh Chaturthi KathaChaturthi Vrat KathaVrat KathaJyeshtha Krishna Chaturthi Katha

इस कथाएँ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा

संतोषी माता व्रत कथा | सातवें बेटे का परदेश जाना | परदेश मे नौकरी | पति की अनुपस्थिति में अत्याचार | संतोषी माता का व्रत | संतोषी माता व्रत विधि | माँ संतोषी का दर्शन | शुक्रवार व्रत में भूल | माँ संतोषी से माँगी माफी | शुक्रवार व्रत का उद्यापन

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा | बृहस्पतिदेव की कथा

भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्‌मणों...

ज्येष्ठ संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

सतयुग में सौ यज्ञ करने वाले एक पृथु नामक राजा हुए। उनके राज्यान्तर्गत दयादेव नामक एक ब्राह्मण रहते थे। वेदों में निष्णात उनके चार पुत्र थे।

वैशाख संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

एक बार पार्वती जी ने गणेशजी से पूछा कि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की जो संकटा नामक चतुर्थी कही गई है, उस दिन कौन से गणेश का किस विधि से पूजन करना चाहिए एवं उस दिन भोजन में क्या ग्रहण करना चाहिए?

मंगलवार व्रत कथा

सर्वसुख, राजसम्मान तथा पुत्र-प्राप्ति के लिए मंगलवार व्रत रखना शुभ माना जाता है। पढ़े हनुमान जी से जुड़ी मंगलवार व्रत कथा...

सोमवार व्रत कथा

किसी नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। दूर-दूर तक उसका व्यापार फैला हुआ था। नगर के सभी लोग उस व्यापारी का सम्मान करते थे..

गुरु प्रदोष व्रत कथा

जो प्रदोष व्रत गुरुवार के दिन पड़ता है वो गुरु प्रदोष व्रत कहलाता है। गुरुवार प्रदोष व्रत रखने से भक्तों को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। एक बार इन्द्र और वृत्रासुर की सेना में घनघोर युद्ध हुआ।..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Durga Chalisa - Durga Chalisa
Ram Bhajan - Ram Bhajan
×
Search