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कथाएँ

भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण से छूटे भगवान चित्रगुप्त

जब भगवान् राम दशानन रावण को मार कर अयोध्या लौट रहे थे, तब उनके खडाऊं को राजसिंहासन पर रख कर राज्य चला रहे राजा भरत...

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परमा एकादशी व्रत कथा

श्री भगवान बोले, हे अर्जुन! अधिकमास के कृष्ण पक्ष में जो एकादशी आती है वह परमा एकादशी कहलाती है।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 30

नारदजी बोले- हे तपोनिधे! तुमने पहले पतिव्रता स्त्री की प्रशंसा की है अब आप उनके सब लक्षणों को मुझसे कहिये।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 28

श्रीनारायण बोले- चित्रगुप्त धर्मराज के वचन को सुनकर अपने योद्धाओं से बोले, यह कदर्य प्रथम बहुत समय तक अत्यन्त लोभ से ग्रस्त हुआ, बाद चोरी करना शुरू किया।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 27

श्रीनारायण बोले- इस प्रकार कह कर मौन हुए मुनिश्वर बाल्मीकि मुनि को सपत्नीक राजा दृढ़धन्वा ने नमस्कार किया, और प्रसन्नता के साथ भक्तिपूर्वक पूजन किया।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 25

दृढ़धन्वा बोला- हे ब्रह्मन्‌! हे मुने! अब आप पुरुषोत्तम मास के व्रत करने वाले मनुष्यों के लिए कृपाकर उद्यापन विधि को अच्छी तरह से कहिए।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 26

अब उद्यापन के पीछे व्रत के नियम का त्याग कहते हैं। बाल्मीकि मुनि बोले, 'सम्पूर्ण पापों के नाश के लिये गरुडध्वज भगवान्‌ की प्रसन्नता के लिये धारण किये व्रत नियम का विधि पूर्वक त्याग कहते हैं।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 24

मणिग्रीव बोला- हे द्विज! विद्वानों से पूर्ण और सुन्दर चमत्कारपुर में धर्मपत्नी के साथ में रहता था। धनाढय, पवित्र आचरण वाला, परोपकार में तत्पर मुझको किसी समय संयोग से दुष्ट बुद्धि पैदा हुई।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 23

दृढ़धन्वा राजा बोला - हे मुनियों में श्रेष्ठ! हे दीनों पर दया करने वाले! श्रीपुरुषोत्तम मास में दीप-दान का फल क्या है? सो कृपा करके मुझसे कहिये।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 22

दृढ़धन्वा राजा बोला - हे तपोधन! पुरुषोत्तम मास के व्रतों के लिए विस्तार पूर्वक नियमों को कहिये। भोजन क्या करना चाहिये? और क्या नहीं करना चाहिये? और व्रती को व्रत में क्या मना है? विधान क्या है?

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 21

बाल्मीकि मुनि बोले - इसके बाद फिर प्रतिभा की अनलोत्तारण क्रिया करके प्राण प्रतिष्ठा करें। अन्यथा यदि प्राण प्रतिष्ठा नहीं करता है तो वह प्रतिमा धातु ही कही जायगी

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 20

सूतजी बोले - हे विप्रो! नारायण के मुख से राजा दृढ़धन्वा के पूर्वजन्म का वृत्तान्त श्रवणकर अत्यन्त तृप्ति न होने के कारण नारद मुनि ने श्रीनारायण से पूछा।

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पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 19

श्रीसूत जी बोले - हे तपस्वियो! इस प्रकार कहते हुए श्रीनारायण को मुनिश्रेष्ठ नारद मुनि ने मधुर वचनों से प्रसन्न करके कहा।

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