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श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: अर्जुनविषादयोग - श्लोक 47 (Shrimad Bhagwat Geeta: Arjun Visada Yog: Shlok 47)


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संजय उवाच
एवमुक्त्वार्जुनः सङ्‍ख्ये रथोपस्थ उपाविशत्‌ ।
विसृज्य सशरं चापं शोकसंविग्नमानसः ॥
भावार्थ: संजय बोले- रणभूमि में शोक से उद्विग्न मन वाले अर्जुन इस प्रकार कहकर, बाणसहित धनुष को त्यागकर रथ के पिछले भाग में बैठ गए।
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