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श्रीमद्‍भगवद्‍गीता: अर्जुनविषादयोग - श्लोक 34 (Shrimad Bhagwat Geeta: Arjun Visada Yog: Shlok 34)


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आचार्याः पितरः पुत्रास्तथैव च पितामहाः ।
मातुलाः श्वशुराः पौत्राः श्यालाः संबंधिनस्तथा ॥
भावार्थ: गुरुजन, ताऊ-चाचे, लड़के और उसी प्रकार दादे, मामे, ससुर, पौत्र, साले तथा और भी संबंधी लोग हैं।
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