Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowAchyutam Keshavam - Achyutam KeshavamFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 55 (Shri Ramcharitmanas Sundar Kand Pad 55)


Add To Favorites Change Font Size
चौपाई:
ए कपि सब सुग्रीव समाना ।
इन्ह सम कोटिन्ह गनइ को नाना ॥
राम कृपाँ अतुलित बल तिन्हहीं ।
तृन समान त्रेलोकहि गनहीं ॥1॥
अस मैं सुना श्रवन दसकंधर ।
पदुम अठारह जूथप बंदर ॥
नाथ कटक महँ सो कपि नाहीं ।
जो न तुम्हहि जीतै रन माहीं ॥2॥

परम क्रोध मीजहिं सब हाथा ।
आयसु पै न देहिं रघुनाथा ॥
सोषहिं सिंधु सहित झष ब्याला ।
पूरहीं न त भरि कुधर बिसाला ॥3॥

मर्दि गर्द मिलवहिं दससीसा ।
ऐसेइ बचन कहहिं सब कीसा ॥
गर्जहिं तर्जहिं सहज असंका ।
मानहु ग्रसन चहत हहिं लंका ॥4॥

दोहा:
सहज सूर कपि भालु सब
पुनि सिर पर प्रभु राम ।
रावन काल कोटि कहुँ
जीति सकहिं संग्राम ॥55॥
यह भी जानें
हिन्दी भावार्थ

ये सब वानर बल में सुग्रीव के समान हैं और इनके जैसे (एक-दो नहीं) करोड़ों हैं, उन बहुत सो को गिन ही कौन सकता है। श्री रामजी की कृपा से उनमें अतुलनीय बल है। वे तीनों लोकों को तृण के समान (तुच्छ) समझते हैं॥1॥

हे दशग्रीव! मैंने कानों से ऐसा सुना है कि अठारह पद्म तो अकेले वानरों के सेनापति हैं। हे नाथ! उस सेना में ऐसा कोई वानर नहीं है, जो आपको रण में न जीत सके॥2॥

सब के सब अत्यंत क्रोध से हाथ मीजते हैं। पर श्री रघुनाथजी उन्हें आज्ञा नहीं देते। हम मछलियों और साँपों सहित समुद्र को सोख लेंगे। नहीं तो बड़े-बड़े पर्वतों से उसे भरकर पूर (पाट) देंगे॥3॥

और रावण को मसलकर धूल में मिला देंगे। सब वानर ऐसे ही वचन कह रहे हैं। सब सहज ही निडर हैं, इस प्रकार गरजते और डपटते हैं मानो लंका को निगल ही जाना चाहते हैं॥4॥

सब वानर-भालू सहज ही शूरवीर हैं फिर उनके सिर पर प्रभु (सर्वेश्वर) श्री रामजी हैं। हे रावण! वे संग्राम में करोड़ों कालों को जीत सकते हैं॥55॥

Granth Ramcharitmanas GranthSundar Kand Granth

अगर आपको यह ग्रंथ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ग्रंथ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

विनय पत्रिका

गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
×
Bhakti Bharat APP