Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र - Gajendra Moksham StotramDownload APP Now - Download APP NowHanuman Chalisa - Hanuman ChalisaFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

श्री रामचरितमानस: लंका काण्ड: मंगलाचरण (Shri Ramcharitmanas Lanka Kand Mangalacharan)


श्री गणेशाय नमः
श्री जानकीवल्लभो विजयते
श्री रामचरितमानस
षष्ठ सोपान (लंकाकाण्ड)
श्लोक:
रामं कामारिसेव्यं
भवभयहरणं कालमत्तेभसिंहं
योगीन्द्रं ज्ञानगम्यं
गुणनिधिमजितं निर्गुणं निर्विकारम् ।
मायातीतं सुरेशं
खलवधनिरतं ब्रह्मवृन्दैकदेवं
वन्दे कन्दावदातं
सरसिजनयनं देवमुर्वीशरूपम् ॥1॥

शंखेन्द्वाभमतीवसुन्दरतनुं
शार्दूलचर्माम्बरं
कालव्यालकरालभूषणधरं
गंगाशशांकप्रियम् ।
काशीशं कलिकल्मषौघशमनं
कल्याणकल्पद्रुमं
नौमीड्यं गिरिजापतिं
गुणनिधिं कन्दर्पहं शङ्करम् ॥2॥

यो ददाति सतां शम्भुः
कैवल्यमपि दुर्लभम् ।
खलानां दण्डकृद्योऽसौ
शङ्करः शं तनोतु मे ॥3॥

दोहा:
लव निमेष परमानु जुग
बरष कलप सर चंड ।
भजसि न मन तेहि राम को
कालु जासु कोदंड ॥

Shri Ramcharitmanas Lanka Kand Mangalacharan in English

Raman Kamarisevya Bhavabhyahranam Kalamtebasinh Yogendra Gyangyam Gunnidhimajitam Nirgunam Nirvikaram ।
हिन्दी भावार्थ

कामदेव के शत्रु शिवजी के सेव्य, भव (जन्म-मृत्यु) के भय को हरने वाले, काल रूपी मतवाले हाथी के लिए सिंह के समान, योगियों के स्वामी (योगीश्वर), ज्ञान के द्वारा जानने योग्य, गुणों की निधि, अजेय, निर्गुण, निर्विकार, माया से परे, देवताओं के स्वामी, दुष्टों के वध में तत्पर, ब्राह्मणवृन्द के एकमात्र देवता (रक्षक), जल वाले मेघ के समान सुंदर श्याम, कमल के से नेत्र वाले, पृथ्वीपति (राजा) के रूप में परमदेव श्री रामजी की मैं वंदना करता हूँ ॥1॥

शंख और चंद्रमा की सी कांति के अत्यंत सुंदर शरीर वाले, व्याघ्रचर्म के वस्त्र वाले, काल के समान (अथवा काले रंग के) भयानक सर्पों का भूषण धारण करने वाले, गंगा और चंद्रमा के प्रेमी, काशीपति, कलियुग के पाप समूह का नाश करने वाले, कल्याण के कल्पवृक्ष, गुणों के निधान और कामदेव को भस्म करने वाले, पार्वती पति वन्दनीय श्री शंकरजी को मैं नमस्कार करता हूँ ॥2॥

जो सत्‌ पुरुषों को अत्यंत दुर्लभ कैवल्यमुक्ति तक दे डालते हैं और जो दुष्टों को दण्ड देने वाले हैं, वे कल्याणकारी श्री शम्भु मेरे कल्याण का विस्तार करें ॥3॥

लव, निमेष, परमाणु, वर्ष, युग और कल्प जिनके प्रचण्ड बाण हैं और काल जिनका धनुष है, हे मन! तू उन श्री रामजी को क्यों नहीं भजता?

Granth Ramcharitmanas GranthLanka Kand GranthTulsidas Ji Rachit Granth

अगर आपको यह ग्रंथ पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ग्रंथ को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

विनय पत्रिका

गोस्वामी तुलसीदास कृत विनयपत्रिका ब्रज भाषा में रचित है। विनय पत्रिका में विनय के पद है। विनयपत्रिका का एक नाम राम विनयावली भी है।

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 41

बुध पुरान श्रुति संमत बानी । कही बिभीषन नीति बखानी ॥ सुनत दसानन उठा रिसाई ।..

श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 44

कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू ॥ सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ।..

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Shiv Chalisa - Shiv Chalisa
×
Bhakti Bharat APP