श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पञ्चम पद
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा । हृदयँ राखि कौसलपुर राजा ॥ गरल सुधा रिपु करहिं मिताई ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: चतुर्थ पद
मसक समान रूप कपि धरी । लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी ॥ नाम लंकिनी एक निसिचरी ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: तृतीय पद
निसिचरि एक सिंधु महुँ रहई । करि माया नभु के खग गहई । जीव जंतु जे गगन उड़ाहीं ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: द्वितीय पद
जात पवनसुत देवन्ह देखा । जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा ॥ सुरसा नाम अहिन्ह कै माता ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: प्रथम पद
जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥ तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई।..
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श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है। प्रश्न-उत्तर शैली मे श्रीमद्भागवत गीता से संबंधित कुछ तथ्य..
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