श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 35
प्रभु पद पंकज नावहिं सीसा । गरजहिं भालु महाबल कीसा ॥ देखी राम सकल कपि सेना ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 34
नाथ भगति अति सुखदायनी । देहु कृपा करि अनपायनी ॥ सुनि प्रभु परम सरल कपि बानी ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 33
बार बार प्रभु चहइ उठावा । प्रेम मगन तेहि उठब न भावा ॥ प्रभु कर पंकज कपि कें सीसा ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 32
सुनि सीता दुख प्रभु सुख अयना । भरि आए जल राजिव नयना ॥ बचन काँय मन मम गति जाही ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 31
चलत मोहि चूड़ामनि दीन्ही । रघुपति हृदयँ लाइ सोइ लीन्ही ॥ नाथ जुगल लोचन भरि बारी ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 30
मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा । जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा ॥ चूड़ामनि उतारि तब दयऊ ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 29
मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा । जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा ॥ चूड़ामनि उतारि तब दयऊ ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 28
मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा । जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा ॥ चूड़ामनि उतारि तब दयऊ ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 27
मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा । जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा ॥ चूड़ामनि उतारि तब दयऊ ।..
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श्री रामचरितमानस: सुन्दर काण्ड: पद 26
देह बिसाल परम हरुआई । मंदिर तें मंदिर चढ़ धाई ॥ जरइ नगर भा लोग बिहाला ।..
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