Updated: Sep 07, 2024 16:09 PM |
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Rishi Panchami Date: Thursday, 28 August 2025
ऋषि पंचमी व्रत का महत्व हिन्दू धर्म में दोषों से मुक्त होने के लिए किया जाता हैं। यह एक त्यौहार नहीं अपितु एक व्रत हैं, इस व्रत में सप्त-ऋषियों की पूजा-अर्चना की जाती हैं। हिन्दू धर्म में माहवारी के समय, स्त्रियों द्वारा बहुत से नियम नियमों का पालन किया जाता हैं। अगर गलती वश इस समय में कोई चूक हो जाती हैं, तो महिलाओं को दोष मुक्त करने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है।
सप्त ऋषि ऋषियों के नाम क्रमश इस प्रकार हैं:
कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ
ऋषि पंचमी व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पंचमी के दिन किया जाता है। सामान्यतः यह व्रत अगस्त अथवा सितम्बर माह में आता है। यह व्रत गणेश चतुर्थी के अगले ही दिन अगस्त अथवा सितम्बर माह में होता है।
कश्यपोऽत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोऽथ गौतमः ।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः ॥
दहन्तु पापं मे सर्वं गृह्नणन्त्वर्घ्यं नमो नमः ॥
शुरुआत तिथि | भाद्रपद शुक्ला पञ्चमी |
कारण | दोष मुक्त करने के लिए |
उत्सव विधि | व्रत, पूजा, व्रत कथा, सप्त ऋषि की पूजा, भजन-कीर्तन |
In Hindu religion, the importance of Rishi Panchami fast is to be free from all the sins. Its actually a fast rather than a festival and in this fasting, people worship saptrishis.
ऋषि पंचमी का महत्व
महिलाएं अक्सर सप्तऋषियों (सात महान ऋषियों) का सम्मान करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत विभिन्न मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को कम करने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने में मदद करता है। माना जाता है कि इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति मिलती है और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। जो लोग गंगा नहीं जा सकते, उनके लिए घर पर नहाने के पानी में गंगा जल की कुछ बूँदें मिलाने की प्रथा है।
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त
पूजा मुहूर्त - 11:03 ए एम से 01:34 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 30 मिनट्स
पञ्चमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 07, 2024 को 05:37 पी एम बजे
पञ्चमी तिथि समाप्त - सितम्बर 08, 2024 को 07:58 पी एम बजे
ऋषि पंचमी पूजा विधि
❀ स्वच्छता और पवित्रता के लिए जल्दी उठें और स्नान के साथ अपने दिन की शुरुआत करें।
❀ अपने घर और उस क्षेत्र को साफ करें जहां आप पूजा करेंगे, जिसमें घर का मंदिर भी शामिल है।
❀ आवश्यक पूजा सामग्री एकत्रित करें जैसे: अगरबत्ती, एक दीपक, फल और फूल, घी, पंचामृत (दूध, दही, शहद, चीनी और घी का मिश्रण)
❀ एक साफ सतह या चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं जहां आप पूजा का सामान स्थापित करें।
❀ कपड़े पर सप्तर्षियों (सात महान ऋषियों) का चित्र या छवि रखें। आप चाहें तो अपने गुरु की फोटो भी लगा सकते हैं।
❀ सप्तर्षियों या अपने गुरु के चित्र पर फल, फूल और अन्य नैवेद्य चढ़ाने से शुरुआत करें।
❀ अपने कार्यों पर विचार करें और किसी भी गलती या पाप के लिए दिल से माफी मांगें। यह क्षमा मांगने और स्वयं को शुद्ध करने का समय है।
❀ भगवान की तस्वीर के सामने आरती करें। इस अनुष्ठान के दौरान सप्तर्षियों से जुड़े भजन या प्रार्थनाएँ गाएँ।
❀ आरती के बाद, प्रसाद परिवार के सदस्यों और प्रतिभागियों के बीच वितरित करें।
❀ इस दिन अपने परिवार के बड़ों का आशीर्वाद लेने की प्रथा है।
संबंधित जानकारियाँ
भविष्य के त्यौहार
15 September 20264 September 2027
शुरुआत तिथि
भाद्रपद शुक्ला पञ्चमी
समाप्ति तिथि
भाद्रपद शुक्ला पञ्चमी
कारण
दोष मुक्त करने के लिए
उत्सव विधि
व्रत, पूजा, व्रत कथा, सप्त ऋषि की पूजा, भजन-कीर्तन
महत्वपूर्ण जगह
मुख्य रूप से दक्षिण भारत में
पिछले त्यौहार
8 September 2024, 20 September 2023, 1 September 2022, 11 September 2021, 23 August 2020, 3 September 2019, 15 September 2018
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