सप्तमी तिथि भगवान सूर्य को समर्पित है, सूर्य को सात सफेद घोड़ों वाले रथ पर विराजमान माना गया है। माघ महीने में शुक्ल पक्ष सप्तमी को रथ सप्तमी या माघ सप्तमी के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि, भगवान सूर्य देव ने रथ सप्तमी के दिन पूरी दुनिया का ज्ञानवर्धन करना शुरू किया था अर्थात इसे भगवान सूर्य का जन्म दिवस भी माना जाता था। इसलिए इस दिन को सूर्य जयंती के रूप में भी परिभाषित किया गया है।
सूर्यग्रहणतुल्या तु शुक्ला माघस्य सप्तमी ।
अचला सप्तमी दुर्गा शिवरात्रिर्महाभरः ॥
रथ सप्तमी को दान-पुण्य के लिए सूर्य ग्रहण के समान अत्यधिक शुभ माना गया है। रथ सप्तमी पर अरुणोदय के दौरान स्नान करना चाहिए। सूर्योदय से पहले स्नान करना एक स्वस्थ परम्परा है, और यह सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्त रखता है। इस मान्यता के कारण रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। संतों के बीच यह दिन अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।
विष्णु पुराण के अनुसार सूर्य देव के रथ में लगे सात घोड़े के नाम गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति हैं।
आज के दिन स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय सूर्यदेव को अर्घ्यदान* देकर उनकी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए और कपूर, धुप और फूलों से सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए। सूर्यदेव को प्रातः काल स्नान कर अर्घ्यदान तथा दान-पुण्य करने से लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
* अर्घ्यदान: भगवान सूर्य के सामने मुँह करते हुए, नमस्कार मुद्रा में, मुड़े हुए हाथ से, छोटे कलश की सहयता से धीरे-धीरे जल चढ़ाते हैं।
संबंधित अन्य नाम | माघ सप्तमी, सूर्य जयंती, आरोग्य सप्तमी, अचला सप्तमी, भानु सप्तमी |
शुरुआत तिथि | माघ शुक्ल सप्तमी |
कारण | सूर्यदेव की पूजा। |
उत्सव विधि | भगवान सूर्य की आराधना, सरयू नदी में स्नान, दान, भजन, कीर्तन। |
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