प्रथमाष्टमी - जेठा के लिए उत्सव, मार्गशीर्ष महीने मे आने वाला ओड़िशा राज्य का प्रसिद्ध त्यौहार है। प्रथमाष्टमी कार्तिक पूर्णिमा के आठवें दिन आता है। रीति-रिवाजों के अनुसार, परिवार में पहले जन्मे बच्चे की पूजा पिठ्ठा (खाने) और नए कपड़ों के साथ की जाती है।
कई संक्रांति उपवास, त्यौहारों जैसे जन्माष्टमी, राधाष्टमी, अशोकष्टमी की ही तरह प्रथमाष्टमी भी ओडिया संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं। यह त्यौहार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
प्रथमाष्टमी पर, सबसे बड़े बच्चे को नए कपड़े पहनाते हैं तथा विभिन्न प्रकार के व्यंजन खिलाए जाते हैं। माँ उसकी प्रशंसा करती है और उसके सुख-समृद्धि की कामना करती है। इस प्रथा को पोधुनवा कहा जाता है। इस त्यौहार में, हल्दी के पत्तों पर लपेटकर एक विशेष प्रकार का पेठा तैयार किया जाता है, जिसे एंडुरी कहा जाता है।
ओडिया परंपरा के अनुसार, सबसे बड़े बच्चे के लिए मामा कपडे लाते हैं। इस त्यौहार में सामाजिक और पारिवारिक संबंध, अनुशासन, आदर्श भावना शामिल है, क्योंकि पिता के बाद, परिवार की पूरी जिम्मेदारी सबसे बड़े बच्चे पर टिकी हुई है, इसलिए उसे सम्मानित करना इस त्यौहार का मुख्य उद्देश्य है।
प्रथमाष्टमी के दिन काल भैरव अष्टमी भी मनाई जाती है। स्कंद पुराण के अनुसार, अष्टमी पर काल भैरव की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। तंत्र साधना के लिए भी यह दिन उत्तम माना गया है।
प्रथमाष्टमी पर विभिन्न कारणों से भक्त मंदिरों में पूजा करते हैं और परिवार में शांति और समृद्धि के लिए पूजा करते हैं।
संबंधित अन्य नाम | सौभागिनी अष्टमी, पाप नाशिनी अष्टमी |
शुरुआत तिथि | कार्तिक पूर्णिमा के बाद आठवां दिन |
उत्सव विधि | घर में पूजा |
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