लक्ष्मी जयंती, देवी लक्ष्मी के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह फाल्गुन मास में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जिसे फाल्गुन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, इस शुभ अवसर पर भक्त पूरी श्रद्धा के साथ धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस त्योहार को मदन पूर्णिमा या वसंत पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में, लोग लक्ष्मी जयंती को उत्तर फाल्गुनीनक्षत्रम के रूप में मनाते हैं। लक्ष्मी जयंती मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाई जाती है।
लक्ष्मी जयंती का महत्व:
लक्ष्मी जयंती के दिन भक्त देवी लक्ष्मी को भक्ति के साथ पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। लक्ष्मी जयंती के दिन लक्ष्मी पूजा को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। देवी लक्ष्मी आर्थिक संकट से मुक्ति दिलाती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
लक्ष्मी जयंती की किंबदंती:
लक्ष्मी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द लक्ष्य से हुई है, जिसका अर्थ है लक्ष्य। लक्ष्मी धन, समृद्धि और भाग्य की देवी हैं। वह भौतिक और आध्यात्मिक विकास भी प्रदान करती है। वह अपने भक्तों को दुख और धन-संकट से बचाती हैं। वह भगवान विष्णु की पत्नी हैं और उन्हें श्री भी कहा जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार लक्ष्मी भृगु और ख्याति की पुत्री हैं। ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण उन्होंने स्वर्ग छोड़ दिया और क्षीर सागर को अपना घर बना लिया। वह गुरु शुक्राचार्य के साथ-साथ चंद्र ग्रह की बहन हैं। जब देवों और दानवों ने क्षीर सागर का मंथन किया, तो समुद्र से चंद्र और लक्ष्मी का जन्म हुआ था जो धन और समृद्धि के सर्वश्रेष्ठ रूप माना जाता है।
कैसे करें लक्ष्मी जयंती की पूजा:
❀ लक्ष्मी जयंती के दिन भक्त प्रातः काल स्नानादि समाप्त कर देवी लक्ष्मी की मूर्ति को वेदी पर रखें और चार बत्तियों का दीपक जलाएं, वेदी के ऊपर शंख भी रखे जाते हैं।
❀ फिर लक्ष्मी मां का अभिषेक रोली और चावल से करें और फूल माला अर्पित करें।
❀ देवी लक्ष्मी की स्तुति गान करके देवी की आरती करें।
❀ इसके बाद देवी लक्ष्मी को भोग के रूप में मिठाई चढ़ाएं और प्रार्थना के बाद भोग सभी भक्तों में वितरित करें।
❀ लक्ष्मी जयंती पर भक्त लक्ष्मी होमम करते हैं, होम के दौरान देवी लक्ष्मी सहस्रनामावली और श्री सूक्तम के 1008 नामों का पाठ किया जाता है।
❀ लक्ष्मी जयंती के दिन महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आहुति के लिए कमल के फूलों को शहद में डुबोकर उपयोग किया जाता है।
भक्तों को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तिपूर्वक लक्ष्मी जयंती का पालन करना चाहिए।
शुरुआत तिथि | फाल्गुन पूर्णिमा |
कारण | माता लक्ष्मी |
उत्सव विधि | मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा, हवन |
** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें।