जमाई षष्ठी का त्योहार पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ महीने के छठे दिन मनाया जाता है। 'जमाई' का अर्थ है दामाद और पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में पखवाड़े में 'षष्ठी' छठा दिन होता है। जमाई षष्ठी उत्सव दामाद और उनकी सास के बीच के बंधन को मजबूत करने के लिए समर्पित है।
जमाई षष्ठी क्यों मनाई जाती है?
जमाई षष्ठी को पुनर्मिलन और खुशी के दिन के रूप में मनाया जाता है। यह वह दिन है जब सास, देवी षष्ठी को खुश करने के लिए षष्ठी पूजा करती हैं और अपनी बेटियों और दामादों के सौभाग्य और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद लेती हैं।
जमाई षष्ठी पर्व मनाने की बिधि
❀ जमाई षष्ठी पर सास अपने दामाद और अपनी बेटी को अपने घर आने के लिए आमंत्रित करती हैं।
❀ जमाई षष्ठी के दिन सास प्रात:काल स्नानादि कर देवी षष्ठी की पूजा करती हैं और घर में बंगाली पकवानों की स्वादिष्ट थाली बनाई जाती है।
❀ देवीषष्ठी को एक थाली चावल, दुरबो (घास) और पांच प्रकार के फल चढ़ाए जाते हैं।
❀ दामाद के माथे पर दही की एक छोटी बूंद डाली जाती है और उनकी कलाई पर पीला धागा बांधा जाता है। धागे को हल्दी से पीले रंग में रंगा जाता है और इसे 'षष्ठी सुतो' कहा जाता है, जिस पर माँ षष्ठी का आशीर्वाद होता है।
❀ फिर सास वह रस्म अदा करती हैं जिसमें छह फलों वाली थाली को जमाई के माथे से छुआ जाता है।
❀ देवी षष्ठी पूजा के बाद, सास अपनी बेटी और दामाद की लंबी उम्र और सलामती की प्रार्थना करती हैं। और सभी पर शांति जल छिड़कती हैं।
❀ पूजा पूरी होने के बाद सास द्वारा दामाद को बहुत प्यार और स्नेह से खिलाया जाता है और उन्हें उपहार भी दिया जाता है।
जमाई षष्ठी दामाद को समर्पित दिन है। यह त्योहार मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। इस दिन को शुभ माना जाता है और अधिकांश परिवार दामाद को समर्पित एक पार्टी का आयोजन करते हैं। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए एक भव्य भोज का भी आयोजन किया जाता है।
संबंधित अन्य नाम | Jamai Sasthi, Jamai Pujo |
कारण | माता षष्ठी पूजा |
उत्सव विधि | घर में देवी पूजा, दामाद की पूजा |
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