Updated: Nov 13, 2024 05:56 AM |
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Igas Festival Date: Saturday, 1 November 2025
इगास पर्व दीपावली के 11वें दिन यानी एकादशी को मनाया जाता है। उत्तराखंड के इस लोक उत्सव को इगास बग्वाल, इगास दिवाली और बूढ़ी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इगास पूरे राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा इगास पर्व के उपलक्ष में राजकीय छुट्टी घोषित की जाती है।
इगास पर्व भैलो खेलकर मनाया जाता है। तिल, भंगजीरे, हिसर और चीड़ की सूखी लकड़ी के छोटे-छोटे गठ्ठर बनाकर इसे विशेष प्रकार की रस्सी से बांधकर भैलो तैयार किया जाता है। बग्वाल के दिन पूजा अर्चना के बाद आस-पास के लोग एक जगह एकत्रित होकर भैलो खेलते हैं। भैलो खेल के अंतर्गत, भैलो में आग लगाकर करतब दिखाए जाते हैं साथ-साथ पारंपरिक लोकनृत्य चांछड़ी और झुमेलों के साथ भैलो रे भैलो, काखड़ी को रैलू, उज्यालू आलो अंधेरो भगलू आदि लोकगीतों का आनंद लिया जाता है।
संबंधित अन्य नाम | इगास पर्व, इगास बग्वाल, इगास दिवाली, बूढ़ी दीपावली, छोटी बग्वाल |
शुरुआत तिथि | कार्तिक शुक्ला एकादशी |
कारण | भगवान श्री राम |
उत्सव विधि | भजन कीर्तन, दिवाली, लोक गीत, लोक नृत्य |
Igas festival is celebrated on the 11th day of Deepawali i.e. Ekadashi. This folk festival of Uttarakhand is also known as Igas Bagwal, Igas Diwali and Budhi Deepawali. Igas is celebrated with pomp across the state.
इगास का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
दीपावली से जुड़ी मान्यता
ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम 14 साल बाद लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या पहुंचे तो लोगों ने दीया जलाकर उनका स्वागत किया और इसे दीपावली के त्योहार के रूप में मनाया। कहा जाता है कि कुमाऊं क्षेत्र के लोगों को इसके बारे में 11 दिनों के बाद पता चला, इसलिए यहां यह दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाता है।
इगास पर्व की दूसरी मान्यता
एक अन्य मान्यता के अनुसार, गढ़वाल के वीर भाद माधो सिंह भंडारी टिहरी के राजा महिपति शाह की सेना के सेनापति थे। लगभग 400 साल पहले राजा ने माधो सिंह को एक सेना के साथ तिब्बत से लड़ने के लिए भेजा था।
इसी बीच बगवाल (दिवाली) का त्योहार भी था, लेकिन इस त्योहार तक कोई भी सिपाही वापस नहीं लौट सका। सभी ने सोचा कि माधो सिंह और उनके सैनिक युद्ध में शहीद हो गए, इसलिए किसी ने दिवाली (बगवाल) नहीं मनाई।
लेकिन दीवाली के 11वें दिन माधो सिंह भंडारी अपने सैनिकों के साथ तिब्बत से दावापाघाट युद्ध जीतने के लिए लौटे। इसी खुशी में दिवाली मनाई गई।
इगास का त्योहार कैसे मनाया जाता है?
❀ उत्तराखंड में दिवाली के दिन को बगवाल के रूप में मनाया जाता है। वहीं कुमाऊं में दिवाली के 11 दिन बाद इगास यानी पुरानी दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
❀ इगास पर्व के दिन सुबह के समय मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं।
❀ बगवाल के दिन भक्त पूजा-अर्चना और तिलक करने के बाद ग्रामीण एक जगह इकट्ठा होते हैं और भाईलो खेलते हैं। भैलो में आग लगाकर इसे घुमाया जाता है। कई ग्रामीण भाईलो के साथ टोटके भी करते हैं।
❀ भैलो रे भैलो, कखरी को रेलु, उजायलू आलो अंधेरो भागलू आदि लोक गीतों के साथ पारंपरिक लोक नृत्य जैसे चंछारी और झुममेल गाए जाते हैं।
संबंधित जानकारियाँ
भविष्य के त्यौहार
20 November 202610 November 202729 October 202816 November 2029
शुरुआत तिथि
कार्तिक शुक्ला एकादशी
प्रकार
उत्तराखंड राजकीय छुट्टी
उत्सव विधि
भजन कीर्तन, दिवाली, लोक गीत, लोक नृत्य
महत्वपूर्ण जगह
घर, मंदिर, कुमाऊं, उत्तराखंड
पिछले त्यौहार
12 November 2024, 23 November 2023, 4 November 2022
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