Updated: Sep 27, 2024 15:30 PM |
बारें में | संबंधित जानकारियाँ | यह भी जानें
Hayagriva Jayanti, Upakarma Divas Date: Friday, 8 August 2025
भगवान हयग्रीव की जयंती जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान हयग्रीव को ज्ञान और बुद्धि का देवता माना जाता है हयग्रीव जयंती पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान हयग्रीव ने सभी वेदों को ब्रह्मा को पुनर्स्थापित कर दिया था। हयग्रीव घोड़े के सिर और इंसान के शरीर के साथ भगवान विष्णु का एक अनूठा अवतार है। इस दिन को ब्राह्मण समुदाय द्वारा उपकर्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हयग्रीव जयंती पूजा ध्यान मंत्र
ब्रह्मा ऋषि: । अनुष्टुप् छन्द: । श्री हयग्रीव: परमात्मा देवता ।
हकारं बीजं । यकारं शक्ति: । ग्रीवः कीलकम् ।
श्रीहयग्रीव-प्रसाद-सिद्धयर्थे जपे विनियोग: ॥
हयग्रीव पूजा मंत्र के बाद श्री हयग्रीव जी को गंध, फूल, धूप, दीप व नैवेद्य अर्पित करें। श्रद्धानुसार घी या तेल का दीपक लगाएं ।
शुरुआत तिथि | श्रावण मास की पूर्णिमा |
कारण | भगवान हयग्रीव |
उत्सव विधि | मंदिर में प्रार्थना, घर में पूजा |
Birth anniversary of Bhagwan Hayagriva who is believed to be an incarnation of Bhagwan Vishnu. Bhagwan Hayagriva is considered the god of knowledge and wisdom. Hayagriva Jayanti is celebrated on the full moon day of the month of Shravana (Shravan Purnima) according to the traditional Hindu calendar.
हयग्रीव जयंती का महत्व
हयग्रीव भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक है। जब राक्षसों ने वेदो और ब्रम्हा जी को बंधक बना लिया था तब भगवान् हयग्रीव ने अपने इस अवतार में वेदों और ब्रह्मा को पुनर्स्थापित किया था। भगवान् हयाग्रीव का सर घोड़े या हैया के समान है इसलिए, उन्हें हयाग्रीव के नाम से जाना जाता है। कई क्षेत्रों में, भगवान हयग्रीव संरक्षक देवता माना जाता हैं जिन्होंने बुराई को दूर करने के लिए अवतार धारण किया था। इस अवतार में घोड़े का सिर उच्च शिक्षा और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। भगवान हयग्रीव का आशीर्वाद हमें अधिक से अधिक ऊंचाइयां प्राप्त करने में मदद करता है।
भगवान् हयग्रीव का स्वरुप
भगवान हयग्रीव को भगवान विष्णु के रूप में चित्रित किया गया है, जिसमें मानव के शरीर और घोड़े का सिर, सफेद रंग, सफेद पोशाक पहने और एक सफेद कमल पर बैठे हुए हैं। अवनि अवित्तम का पर्व भी हयग्रीव जयंती के दिन मनाया जाता है। यह एक ऐसा अवसर है जब पुराने यज्ञोपवीत; जिसे जनेऊ के नाम से जाना जाता है उसे बदल कर नया जनेऊ धारण किया जाता है। इस दिन भगवान ब्रह्मा की भी पूजा की जाती है। छात्र ज्ञान प्राप्त करने के लिए आशीर्वाद के लिए भगवान हयग्रीव की पूजा करते हैं। इस दिन असम में भगवान हयग्रीव मंदिर और नांगनल्लूर चेन्नई में हयाग्रीव मंदिर में भव्य उत्सव मनाया जाता है जिसे हयग्रीव माधव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
हयग्रीव जयंती की पूजा विधि
❀ श्री हयग्रीव जी का पूजन करते समय पूर्व दिशा व उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं ।
❀ सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश जी का पूजन करें । श्री गणेश जी को स्नान कराकर उन्हें वस्त्र अर्पित करें । गंध, पुष्प , धूप ,दीप, अक्षत से पूजन करें ।
❀ उसके बाद अब भगवान हयग्रीव जी का पूजन करें । पहले श्री हयग्रीव जी को पंचामृत व् जल से स्नान कराएं, उन्हें वस्त्र अर्पित करें । वस्त्रों के बाद आभूषण पहनाएं । अब पुष्पमाला पहनाएं । अब तिलक करें।
❀ “ॐ नमो भगवते आत्मविशोधनाय नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हयग्रीव जी को तिलक लगाएं।
❀ इसके पश्चात अपने हाथ में चावल व फूल लें व इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्री हयग्रीव जी का ध्यान करें।
संबंधित जानकारियाँ
भविष्य के त्यौहार
27 August 202616 August 20274 August 2028
शुरुआत तिथि
श्रावण मास की पूर्णिमा
उत्सव विधि
मंदिर में प्रार्थना, घर में पूजा
पिछले त्यौहार
19 August 2024, 30 August 2023
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