सावन माह में भारत के प्रत्येक प्रांत में हरियाली ही हरियाली दिखाई पड़ती अतः इस प्राकृतिक संवृद्धि को समर्पित इस त्यौहार को अमावस्या तिथि के साथ मानने के कारण इसे हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। हरियाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या अथवा श्रावण अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
बृज क्षेत्र में, मीठे एवं नमकीन पुए, मीठी पूड़ी से किसान अपने-अपने कृषि के उपकरण की पूजा करते हैं तथा कृषि के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। इन्हीं मिष्ठानो को पूजा के उपरांत गौ एवं परिवार में वितरित करते हैं।
हरियाली अमास्या, श्रावण शिवरात्रि के एक दिन बाद तथा शुक्ल पक्ष में आने वाली हरियाली तीज से तीन दिन पहिले मनाई जाती है। भारत के उत्तरी राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में हरियाली अमावस्या बहुत प्रसिद्ध है। परन्तु महाराष्ट्र में इसे गतारी अमावस्या, आंध्र प्रदेश में इसे चुक्कल अमावस्या, तमिलनाडु में इसे आदि अमावसई के नाम से जाना जाता है और उड़ीसा में इसे चीतालागि अमावस्या के रूप में जाना जाता है।
संबंधित अन्य नाम | हराई अमावस, श्रावणी अमावस्या, श्रावण अमावस्या, गतारी अमावस्या, चुक्कल अमावस्या, चितलगी अमावस्या |
शुरुआत तिथि | श्रावण कृष्णा अमावस्या |
कारण | श्रावण माह, अमावस्या, कृषि समृद्धि |
उत्सव विधि | पूजा, दान, स्नान, भजन-कीर्तन |
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