धर्मशास्त्रों में चैत्र मास की पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इसको मधु पूर्णिमा और चैते पूनम भी कहा जाता है। चैत्र पूर्णिमा पर सूर्योदय के पूर्व उठकर पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करने, दान करने और व्रत पूजा के संकल्प से मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ज्योतिष के अनुसार पूर्णिमा तिथि का मानव मन और तन पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। मानव शरीर में जल तत्व की प्रधानता होने की वजह से पूर्णिमा तिथि मानव को प्रभावित करती है। 27 अप्रैल, 2021 को चैत्र पूर्णमी मनाई जाएगी।
भगवान सत्यनारायण की पूजा करें
धर्मसिंधु ग्रंथ और ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर तीर्थ स्नान, दान, व्रत और भगवान श्रीहरी की पूजा करने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन श्रीहरी और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ आसमान में अपनी निराली छटा और स्वच्छ चांदनी के साथ चमकता रहता है।
पूर्णिमा का व्रत कर भगवान सत्यनारायण की कथा करने से धन, संपदा और एश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन हनुमान जयंती होने से श्रीराम भक्त हनुमान की आराधना की जाती है। इसी दिन से वैशाख मास के स्नान का भी आरंभ हो जाता है। सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देकर दान करने से देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
चंद्र ग्रह के दोष होते हैं दूर
इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने से जन्म - जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन चंद्रमा को जल देने से कुंडली में चंद्र ग्रह कि स्थिति बेहतर होती है। चैत्र पूर्णिमा को जरूरतमंद व्यक्ति या विद्वान ब्राह्मण को दान करने से उस दान का कई गुना फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
संबंधित अन्य नाम | chaitra purnima |
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