भैरव जयंती त्यौहार भगवान शिव के भयानक रूप बाबा भैरव नाथ को समर्पित है। पौष शुक्ला द्वितिया के दिन होने के कारण, इस त्यौहार भैरव द्वितिया भी कहा जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में भैरव जयंती विभिन्न तिथियों के साथ मनाई जाती है।
इसे भैरवाष्टमी, भैरव जयंती, काल-भैरव अष्टमी और काल-भैरव जयंती के रूप में भी जाना जाता है। भैरव जी की पूजा विशेष रूप से सफलता, धन, स्वास्थ्य और बाधा दूर करने के लिए की जाती है। भक्त को भैरव अष्टमी का व्रत करने से पाप और मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।
दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी में इस उत्सव को द्वितीय के दिन या बाद वाले अगले रविवार को मनाया जाता है। और आस-पास के क्षेत्र मे भैरव जयंती किलकरी भैरव मंदिर के अनुसार मनाई जाती है।
शुरुआत तिथि | पौष शुक्ल द्वितीया |
कारण | बाबा भैरवनाथ का प्राकट्य दिवस। |
उत्सव विधि | भजन संगीत, भैरव पूजा, वार्षिक मेला। |
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