भड़रिया नवमी एक अबूझ शुभ मुहूर्त है, इस दिन किसी भी प्रकार की सभी शुभ गतिविधियां आयोजित की जा सकती हैं। भड़रिया नवमी मुख्य रूप से विवाह जैसे शुभ कार्यों के लिए जन-मानस के बीच अधिक प्रसिद्ध है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी के बाद चार महीने के लिए मांगलिक एवं शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चातुर्मास के लिए गहरी योग निंद्रा मे चले जाते हैं। तत्पश्चात भगवान विष्णु सीधा देवउठनी एकादशी पर चातुर्मास समाप्ति के साथ योग निंद्रा से जाग्रत होते है। उसके पश्चात शुभ एवं मांगलिक कार्य फिर से प्रारंभ हो जाते हैं।
वैवाहिक जीवन का प्रारंभ बिना भगवान लक्ष्मीनारायण के आशीर्वाद से संपन्न नहीं होता है। इसी कारण भगवान श्री लक्ष्मीनारायण के योग निंद्रा में होने से कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
भड़रिया नवमी को विभिन्न बोली, भाषा एवं क्षेत्र के अनुसार भड़रिया नौमी, भड़ल्या नवमी, भढली नवमी, भड़ली नवमी, भादरिया नवमी, भदरिया नवमी, कन्दर्प नवमी एवं बदरिया नवमी नामो से भी जाना जाता है।
भड़रिया नवमी ही क्यों?
विवाह के साथ होने वाले अन्य शुभ कार्यों का समापन होने में 1-2 दिन का समय लग जाता है, तथा देवशयनी एकादशी तक सारे शुभ कार्य संपन्न होना भी आवश्यक है। अतः शुभ कार्य हेतु देवशयनी एकादशी से तुरंत पहिले सबसे शुभ तिथि भड़रिया नवमी ही मानी गई है।
अबूझ मुहूर्त क्या है?
सामान्य जन मे कुछ अबूझ मुहूर्त जैसे बसंत पंचमी, फुलेरा दूज, अक्षया तृतीया, भड़रिया नवमी तथा देवोत्थान को माना जाता है, परंतु अधिकतर ज्योतिष अबूझ मुहूर्त जैसी अवधारणा को नहीं मानते हैं।
संबंधित अन्य नाम | भड़रिया नौमी, भड़ल्या नवमी, भढली नवमी, भड़ली नवमी, भादरिया नवमी, भदरिया नवमी, कन्दर्प नवमी, बदरिया नवमी |
शुरुआत तिथि | आषाढ़ शुक्ल नवमी |
कारण | अबूझ शुभ विवाह मुहूर्त। |
उत्सव विधि | विवाह, गृह प्रवेश, भजन/कीर्तन, मंदिर में प्रार्थना। |
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