Updated: Oct 24, 2024 05:27 AM |
बारें में | संबंधित जानकारियाँ | यह भी जानें
Ahoi Ashtami Date: Monday, 13 October 2025
हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष के दौरान दीवाली से 8 दिन पहले अहोई अष्टमी मनाई जाती है। यह करवा चौथ त्योहार के समान ही काफी अनुशासित व्रत के साथ मनाई जाती है, लेकिन यह अहोई अष्टमी त्योहार विशेष रूप माँ द्वारा बेटों के लिए मनाया जाता है। माताएँ, माँ अहोई (माँ दुर्गा का रूप) की पूजा करतीं हैं और अपने बच्चों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए उपवास करतीं हैं। इस साल 2024 में अहोई अष्टमी गुरूवार, 24 अक्टूबर 2024 को मनाई जारही है।
अहोई अष्टमी व्रत में आकाश के एक तारे का ही बहुत महत्व है, क्योंकि माताएँ आकाश में एक तारे को ही देखकर व्रत का समापन कर देतीं हैं।
संबंधित अन्य नाम | अहोई आठें |
शुरुआत तिथि | कार्तिक कृष्णा अष्टमी |
कारण | अपने बच्चों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए। |
उत्सव विधि | व्रत, भजन, कीर्तन। |
Ahoi Ashtami is usually celebrated before 8 days of Diwali during the Krishna Paksha in the Kartik month as per the Hindu calendar. This year in 2024, Ahoi Ashtami is being celebrated on Thursday, 24th October 2024.
अहोई व्रत शुभ मुहूर्त
24 October 2024
अष्टमी तिथि - 24 अक्टूबर 2024
❀ अहोई अष्टमी गुरूवार, अक्टूबर 24, 2024 को है, अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त - 05:42 PM से 06:59 PM जोकि 1 घण्टा 17 मिनट्स की अवधि तक रहेगा।
❀ अहोई अष्टमी पूजा पर तारों को देखने के लिये साँझ का समय 6:06 PM सबसे उपयुक्त है।
❀ अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय 11:55 PM, 24 अक्टूबर है।
अहोई अष्टमी के अनुष्ठान
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अहोई आठें के दिन, माँ अहोई की पूजा की जाती है और सुबह-सुबह पूजा की तैयारी के लिए सूर्योदय से पहले स्नान करते है। अहोई माता की लाल स्याही वाली एक तस्वीर जिसमें सभी सात बेटों और चंद्रमा / सूर्य को चित्रित किया गया हो, को घर की दीवार पर लगाते हैं, या गेरु से भी यह चित्र बना सकते हैं। मिट्टी से बने पानी के वर्तन को विग्रह के पास रखते हैं।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, माताएँ अहोई माता की चाँदी से बनी माला में प्रतिवर्ष 2 मनके (मोती) पिरोती हैं, इस प्रकार महिलाएँ अपनी संतान की आयु अहोई माता के अनुरूप परिभाषित करतीं है।
❀ अहोई आठें का व्रत मुख्य रूप से घर में बच्चे के कल्याण तथा लंबी उम्र के लिए किया जाता है। एक माँ पूरे दिन निर्जला* व्रत करती है। शाम को माता अहोई को फल और मीठे व्यंजन भेंट कर उनकी पूजा-अर्चना करतीं हैं। जब आसमान में एक तारा दिखाई दे, तो करवे के शुद्ध पानी को उसपर अर्पित करतीं हैं। माताएँ अपने बच्चे के हाथ से पानी पीकर व्रत खत्म करतीं हैं।
❀अहोई अष्टमी
करवा चौथ की तरह अधिक लोकप्रिय नहीं है, परंतु यह त्यौहार माँ और बच्चे के बीच के प्यार और स्नेह को परिभाषित करता है।
* पानी और भोजन की बिना उपभोग किए व्रत को निर्जाला कहा जाता है।
अहोई अष्टमी कथा
प्राचीन काल में किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात लड़के थे। दीपावली से पहले साहूकार की स्त्री घर की लीपापोती हेतु मिट्टी लेने खदान में गई और कुदाल से मिट्टी खोदने लगी..
संपूर्ण कथा पढ़ें
संबंधित जानकारियाँ
शुरुआत तिथि
कार्तिक कृष्णा अष्टमी
समाप्ति तिथि
कार्तिक कृष्णा अष्टमी
कारण
अपने बच्चों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए।
उत्सव विधि
व्रत, भजन, कीर्तन।
महत्वपूर्ण जगह
घर, मंदिर।
पिछले त्यौहार
24 October 2024, 5 November 2023, 17 October 2022, 28 October 2021
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