मुंबई का लोकप्रिय और महत्वपूर्ण पूजा स्थल श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर हैं जो प्रभादेवी में स्थित हैं। लिखित सरकारी दस्तावेजों के अनुसार इस मंदिर का प्रथम निर्माण १९ नवंबर १८०१ में हुआ था।
सिद्धि विनायक का यह विग्रह चतुर्भुजी है, उनके ऊपरी दाएं हाथ में कमल, बाएं हाथ में अंकुश, नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला तथा बाएं हाथ में मोदक से भरा पात्र है। धन और ऐश्वर्य की प्रतीक श्री गणपति की दोनो पत्नियां रिद्धि और सिद्धि उनके दोनों ओर विराजमान हैं, जो कि सफलता और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वालीं हैं। मस्तक पर अपने पिता भगवान शिव के समान तीसरा नेत्र शिशोभित कर रहा है, और गले में हार के स्थान पर एक सर्प लिपटा हुआ है। सिद्धि विनायक का यह विग्रह ढाई फीट ऊंचा एवं दो फीट चौड़े एक ही काले शिलाखंड से बना हुआ है।
अधिकांश भक्तगण बाईं तरफ मुड़ी सूड़ वाले गणेश जी की पूजा-अर्चना किया करते हैं। परंतु इस मंदिर में भक्त दाहिनी ओर मुड़ी सूड़ वाले गणेश जी की पूजा करते हैं। जनभावना के अनुसार दाहिनी ओर मुड़ी सूड़ वाले गणेश जी का विग्रह सिद्ध पीठ माना गया हैं अतः मुंबई का यह गणपति मंदिर सिद्ध पीठ है। मान्यता है कि ऐसे गणपति बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं और उतनी ही जल्दी कुपित भी।
सिद्धिविनायक मंदिर
सिद्धिविनायक मंदिर
सिद्धिविनायक मंदिर
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