श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर लक्ष्मण डुंगरी की तली पर स्थित जाग्रत श्री हनुमान धाम है। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह में वामन जयंती के दिन भव्य सन्त सम्मेलन व भंडारे का आयोजित किया जाता है, जिसमें 20 से 25 हजार श्रद्धालु पंगत परसादी में शामिल होते हैं, जिसे नानी बाई का मायरा के नाम से भी जाना जाता है।
पौष बड़ा प्रसाद वितरण: पौष माह के प्रत्येक मंगलवार 17, 24, 31 दिसंबर एवं 7 जनवरी 2020 सुवह 7:30 से रात्रि 10 बजे तक।
पौष खिचड़ा प्रसाद वितरण: पौष माह के प्रत्येक शनिवार 14, 21, 28 दिसंबर तथा 4 जनवरी 2020 सुवह 7:30 से दोपहर 1 बजे तक।
श्री हनुमान जन्मोत्सव को 11 हजार दीपकों के साथ हनुमान जी की महाआरती की जाती है। हनुमान शक्ति को हर समय जाग्रत रखने हेतु, सन् 1997 से मंदिर परिसर में श्री राम नाम अखंड संकीर्तन का निरंतर पाठ किया जाता है।
हर मंगलवार को सायंकाल 7:00 बजे सामुहिक श्री हनुमान चालिसा का पाठ किया जाता है, और महीने में एक बार सुन्दरकांड का पाठ आयोजित किया जाता है। मंदिर परिसर में साधू - संतों के रुकने की व्यवस्था रखी गई है, जिसके अंतर्गत मंदिर में 20-25 साधुओं का हमेशा सनिद्ध्य प्राप्त किया जा सकता है।
मंदिर प्रबन्धन समिति द्वारा एक छोटी गौशाला का भी संचालन किया जाता है। शिव का पवित्र महिना सावन, जिसमें सवा-लाख बेलपत्र की झाँकी सजाई जाती है। मंदिर में गुरु पूणिमा को गुरु पूजन किया जाता है जिसमे 5-7 हजार शिष्यगण गुरु पूजन करने आते हैं।
महान संत श्री श्री 1008 श्री सीताराम दास जी महाराज ने 17 सितम्बर 2014 को 46 साल के बाद अन्नग्रहण किया था। पंचमुखी हनुमान मंदिर परिसर के आज की इस विकासमयी यात्रा का श्रेय भी महाराज जी के सनिद्ध्य को ही जाता है। इससे पूर्व महाराज जी बंगाली बाबा श्री गणेश मंदिर परिसर में अपनी सेवाएँ दिया करते थे।
श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर
श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर
श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर
श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर
1961
मंदिर का निर्माण कार्य।
1981
श्री श्री 1008 श्री सीताराम दास जी महाराज द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार।
1997
सन् 1997 से चौबीस घंटे श्री राम संकीर्तन।
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