भारत के एक छोटे से गाँव पुनावाड़ी का पुणे महानगर के रूप में विकसित होने का इतिहास अत्यधिक प्रभावशाली है। भिन्न-भिन्न समय काल में बनाए गए सुंदर मंदिरों में से अधिकांश को विभिन्न युद्धों में नष्ट कर दिया गया था।
सन् 1630 में रानी जीजाबाई भोंसले अपने 12 वर्ष के पुत्र शिवाजी को साथ लेकर पुणे पहुँची। युवा शिवाजी ने मावलों को मुगलों से मुक्त करने की कसम खाई थी। उसी समय, विनायक ठाकर के घर के पास भगवान गणेश की एक मूर्ति मिली, जो कि रानी जीजाबाई भोंसले के निवास स्थान के करीब ही रहते थे। जीजाबाई ने इसे एक शुभ क्षण के रूप में माना और तभी एक मंदिर का निर्माण प्रारंभ किया, जिसे आज प्रसिद्ध श्री कसबा गणपति मंदिर के रूप में जाना जाता है। युवा शिवाजी ने इस शुभ क्षण के बाद स्वराज्य साम्राज्य का निर्माण शुरू किया। शिवाजी महाराज किसी भी युद्ध में जाने से पहले यहाँ श्री गणेश का आशीर्वाद अवश्य लेते थे।
उसी समय से पुणे को भगवान गणेश के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इस मंदिर में श्री गणेश को ग्राम देवता के रूप में पूजा जाता है। पुणे शहर में रहने अथवा आने वाले हर व्यक्ति को मंदिर के दर्शन जरूर करना चाहिए, क्योंकि श्री गणपति ग्राम देवता होने के कारण यहाँ रहने वालों के रक्षक देव भी हैं।
कसबा गणपति, पुणे के स्थानीय देवता होने के कारण, गणेश उत्सव के दौरान यहाँ के उत्सव मंडल को पहले भगवान गणेश की मूर्ति को नदी में विसर्जित करने का सौभाग्य प्राप्त है।
श्री कसबा गणपति मंदिर
श्री कसबा गणपति मंदिर
श्री कसबा गणपति मंदिर
श्री कसबा गणपति मंदिर
1630
छत्रपति शिवाजी की माता जीजाबाई भोसले द्वारा स्थापित मंदिर।
1893
श्री कसबा गणपति सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की स्थापना।
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